Sunday, April 05, 2020

मिनख-लुगाई री बरोबरी रो सपनो / नीरज दइया


कहाणीकर रीना मेनारिया राजस्थानी उपन्यासां रै तोड़ै नै विचारता ‘पोतीवाड़’ उपन्यास लिख्यो। लेखिका इण बाबत खुलासो ई करियो- ‘लारलै दो-तीन बरसां सूं उपन्यास लिखण री सोचै ही पण कोनी लिख सकी। एकर हिंदी री एक कहाणी लिखण बैठी तौ मन मांय विचार आव्यौ कै क्यूं नीं उपन्यास लिखण री कोसिस करी जावै, पछै कांई उपन्यास री सरुआत तौ हिंदी सूं व्ही पण खातमौ राजस्थानी मांयनै व्हियौ क्यूंकर दो पाना हिंदी मांय लिख्यां अर तीजै पाने तौ आपणेआप राजस्थानी रा आखर मंडव ढुका।’ आ बात लेखिका रो आपरी भासा सूं लगाव दरसावै। इणी ढाळै उपन्यास सूं पैली महाकवि कन्हैयालाल सेठिया री ओळ्यां- ‘निज भाषा साहित्य बिन, पनपै कदै न प्रांत/ सभ्य स्वतंत्र समाज रौ, सदा अमर सिद्धांत।’ नै माण देवणो इस दिस वांरै सोच नै दरसावै। मात भासा रै इण हेत-माण नै घणा-घणा रंग।
सबद ‘पोतीवाड़’ मांय मूळ सबद ‘पोत’ है। ढक्योड़ा भेद ई पोत बाजै। उपन्यास मांय खोटा-माडा कामां रा भेद खुलण रै अरथ मांय ओ सबद बरतीजै।
‘थारी आ ईज इंछिया है तौ म्हैं पूरी कोसिस करस्यूं कै ओ पोतीवाड़ थारी दादी रै साम्हीं कोनी खुलै। जा मौज कर। कैयनै बापू दुकान री कुंचियां लेयनै चलता बणया। (पेज-54)
‘जया पाछी म्हनै संभाळती धीजौ बंधावती बोली- भाभी सा इण घर मांय रैवणौ हुवै तो हिम्मत सूं काम लेवौ अर ठंडा दिमाग सूं सोचौ कै कांई करिया रेखा रौ पोतीवाड़ उगाड्यौ जावै। थां हिम्मत राख अन्नै आपरै हक रै वास्तै लड़ौ तौ राम जी सौगंध म्है पण थांरौ साथ देस्यूं। (पेज-81)
‘पोतीवाड़’ असल मांय कथा नायिका सारदा रै खोटा-खरा, भूंडा-चोखा सगळै करमां रो पोतीवाड़ उजागर करण वाळो उपन्यास है। इण री कथा इण ढाळै चालू हुवै-
‘पिंटू ऐ पिंटू। पिंटू जाग रे।’
आड़ौ खटखट्यौ खट... खट... खट....
म्हैं उठनै बैठगी। घड़ी कानी निजर न्हाखी, पण ओवरा मांय अंधारौ होवण सूं ठा कोनी पड़ी कै कित्ती बजी।
बारणै चिड़कलियां री व्हैती चां-चूं अर दूध वाळा रा बाजता भोंपू... भोंपू सूं म्हैं अंदाजौ लगा ल्यौ कै साढ़े पांच कै, छै बजी व्हैला। म्हैं तो पाछी मुण्डा पै चादर खेंच ली। आखी रात छोरो टें... टें... करतौ रयौ, आंख्यां रा पड़ ईज कोनी मिलण दिया। तीन बज्यां रै ऐड़ै-नैड़ै जायने बो सुतौ जद कठै म्हारी आंख लागी। नींद ई पूरी कोनी हुवी, आंख्यां झकर... झकर बळै ही। म्हैं आवाज सुणै ही पण हाली न चाली। म्हारै डावी पाखती म्हारा घरवाळा पिंटू निसंक सूता हा, तौ जीमणी पाखती बारै महिना रौ टाबर करण सुतौ हो।
आवाज पाछी आवौ- ‘पिंटू रै। ऐ रै पिंटू। हेला मार-मारनै म्हारौ कायौ व्हैगौ। आ ई कोई नींद है। उठण रौ नाम ईज कोनी लेवै वावळौ। अरे आखी रात रतजगौ दियौ कांई? दोनूं ई कानड़ै रूई घालनै पड्या है सुणै न सामळै।’ (पेज-7)
सारदा रै घरवालै रो नांव पिंटू है। ओवरै मांय सारदा होळै सूं बोलै- ‘पिंटू’ अर उणनै सुणीज जावै! बो ‘हां सुणल्यौ।’ कैवतो अंगोछो पळेटै अर आडो खोलै। मा-बेटै री बंतळ सूं ठाह लागै कै फोन आयो है कै सारदा री मामी चंपा चालता रैया। मामी ई सारदा नै पाळी-पोसी अर मा बरोबर ही। बियां सारदा री जूण मांय हुई तो बेजा ई ही, पण बा लोक देखावै सारू केई काम जीव नै करणा पड़ै।
उपन्यास रै दूजै अध्याय मांय सारदा आपरै पूरै परिवार साथै कार सूं गांव जावै जरूर पण उण नै मन मांय किणी ढाळै रो कोई सोग कोनी हुवै। गांव पूग्या सासुजी सारदा रा दोनूं हाथ पकड़’र उण रो घूंघटो लंबो कर देवै अर उण नै रोवण रो कैवै। बा रोवै पण ‘पोतीवाड़’ उपन्यास रै मारफत लेखिका अठै लुगाई जूण रा केई केई पोत खोल’र साम्हीं राखै।
सारदा रै मिस बा पढ़ाई-लिखाई अर इत्तै बदळाव पछै ई मुख्य धारा सूं जुदा नारियां रो दुख-दरद अर जूण रो जुद्ध गावै। सारदा जाणै मामी रै मरणै रै मिस गांव नीं पूग’र आपरै बाळपणै मांय पूग जावै अर लेखिका नै ओ मारग उण री कथा कैवण रो मिल जावै। छेहलै अध्याय मांय उपन्यास रै छेहलै पानै आ ओळी आवै- ‘मामी कांई मरी म्है तौ जाणै पाछली जिंदगी रौ एक-एक पानौ पळैट द्यौ।’ (पेज-113)
सारदा रै विगत जीवण नै देख्यां हूंस भेळै रोवणो आवै। जद बा सवा ग्यारै बरसां री ही उण री मा सौ बरस पूरा करगी। बाप उण री सार-संभाळ सारू कीं सावळ विचार’र विधवा मामी चंपा नै सूंपी पण होणी नै कीं दूजो ई मंजूर हो। मामी रो चरित्र सारदा री इण मनगत सूं जाण सकां- ‘कदेई-कदेई म्हैं विचारै ही, कै आ वां ई मामी है ज्यां मां जीवती तद उणनै मुंडा मांय मुतावती ही। अर आज मां नी री तौ मामी पण वा मामी कोनी री। मामी रौ खोळियौ व्हौ ईज हौ, स्यात हियौ भाटा रौ बणग्यौ हौ। हां पाका धोळा भाटा रौ। व्हैता-व्हैता च्यार बरस वितग्या हा। मामी रा इण कैदखाना मांय च्यार बारस, म्हैं तौ जाणै च्यार जुग री गळाई जिव्या हा।’ (पेज-34)
पढणो चावती पण सारदा घणी पढ-लिख नीं सकी। दुखां रै दरियाव मांय बा नीठ आठवीं तांई री भणाई करी अर सतरवै बरस पछै रिस्तो अर ब्याव हुयग्यो। मामी री चालबाजियां सूं ब्याव रो कीं सुख नीं मिल्यौ अर सगळो पोतीवाड़ साम्हीं आयग्यो। राजस्थानी उपन्यास जातरा मांय विधवा व्याव री अबखायां देखां पण अठै रीना मेनारिया रै इण उपन्यास मांय सरदा रा तीन ब्याव हुया। तीजै चावळ पिंटू भेळै सीझै। उण रो दूजो ब्याव उन्नीसवै बरस हुयो अर उण रा ई केई कथा-दीठाव उपन्यास मांय मिलै। सार रूप कैवां तो कैवणो ओ साम्हीं आवै कै लुगाई ई लुगाई री बैरी हुवै। वा जाणै किणी लारलै जलमां रा बदळा साजै। उपन्यास ओ सवाल ई साम्हीं राखै कै इण जूण रै सुख-दुख मांय लारलै जलम अर इण जलम रो कित्तो कांई असर हुवै। दूजै ब्याव मांय झौड़ पड़ै अर पिंटू री जागा विसाल सूं परणीजण री बात आवै तद मेनारिया नायिक अर उण रै बापू री मनगत इण भांत राखै-
सारदा रो मानणो है- ‘बळद अर बेटी जठै दै उठै जावणौ ईज पड़ै। बापू री आ ईज मरजी है तौ पछै म्हनै ना नी पाड़नी चाहिजै। ओ सोच अर म्हैं कैह्यौ- म्हैं त्यार हूं। बापू री बात ई म्हारी बात है।’ (पेज-61)
बापू म्हनै नैड़ै बुलावी अर कैवण लागा- बेटी तगदीर नै कोई’ज नी बदळ सकै। जौ लिख्यौ वौ तौ व्है नै ईज रै। पिंटू सूं ब्याह होणी लिख्यौ व्हैतौ तौ आखौ जंवारौ ढाण बुहारवां मांय ईज निकळ जावतौ। पण थारा भाग मांय तो बेमाता कांई और ईज लिख्यौ। मुम्बई जैड़ा सहैर मांय सेठाणी बणी राज करैला म्हारी लाड़ौ।’ (पेज-63)
बेमाता रा लेख अर करमां रा फळां रै बदळाव सारू कीं करणो जरूरी हुवै। टैम माथै खरो फैसलो लेवण री जरूरत ओ उपन्यास सारदा रै मारफत बतावै। जे सारदा आपरै दुखां साम्हीं ऊभी हुवती, का किणी ढाळै रो विरोध करती तो स्यात उण री जूण कीं दूजी हुवती। उण नै दूजै ब्यांव पछै ई जद घर सूं बारै काढ देवै तद बा वगत नै इण ढाळै स्वीकारै- ‘म्हैं म्हारी तगदीर नै दोस देवती उठै सूं चाल पड़ी।’ (पेज-83) बगत बदळै अर उपन्यास मांय बा ठौड़ ई आवै जद सारदा री जूण चांकैसर आवण ढूकै- ‘बस कर बेटी! बस कर, पाछला जलम मांय म्हैं स्यात कीं खोटा करम करिया व्हैला जिणरौ फळ म्हनै इण भांत मिल्यौ। थानै म्हारी सौगंध है अबै आंख सूं एक आंसू मत काढ़।’ (पेज-111)
राजस्थानी समाज मांय छोरियां-लुगायां साम्हीं एकै पासी संस्कार हुवै तो दूजै पासी काण-कायदा। पढाई-लिखाई अर नुवै जमानै री बातां सारू लुगाई नै जागणो पड़सी। सेवट सादरा रा दिन फुरै। सारदा बी.एड. करै अर मास्टरनी लागै। सारदा री इण जूण जातरा सूं केई-केई मरम री बातां साम्हीं आवै। सारदा री जूझ एक इसी लुगाई री गाथा वण जावै, जिण जूण मांय अणमाप दुख देख्या, बिखो भोग्या अर सेवट खरो मारग मिलै। नंद भारद्वाज रै सबदां मांय कैवां तो- ‘कथा नायिका सारदा री जीवण-जूंझ इण अरथ में वाकेई एक मिसाल पेस करै अर आ युवा कथाकार रीना मेनारिया री खासियत जाणिजै कै वां इण चरित नै जिण धीरज अर नरमाई सूं सिरज्यौ, उणसूं समाजू बदळाव री प्रक्रिया में पसवाड़ौ फेरती एक भरोसैमंद अर यथार्थवादी नारी री छिब साम्हीं आई।’
आ छिब अजेस काळी रातां भोगै। रात ई न्यारी न्यारी ठौड़ न्यारै न्यारै रूपां मांय घर करियोड़ी बैठी है। इणी खातर अजेस लुगाई जूण माथै केई उपन्यास लिखीज रैया है। दुखां सूं भरी पोतीवाड़ री हैप्पी एंड वाळी नायिका सारदा जद आपरी कथा विगतवार चितारै तद बा पढी-लिखी अर भणी-गुणी मास्टरणी बणगी, इण सारू उण री भासा मांय केई अंग्रेजी रा सबद ई फूटरा लागै। जियां- ‘बापू री आ कंडिसण क्यूं व्ही।’ (पेज-30), ‘झूठ नीं बोलू आज पैलड़ली बार म्हैं बिना परमिसन सूं घर बारनै निकळी।’ (पेज-33) लुगायां जूण रै ओवरा मांय अजेस ई अखूट अंधारो घर करियोड़ो है अर बै बिना परमिसन घर सूं बारै कोनी निकळ सकै। रीना मेनारिया ‘पोतीवाड़’ रै मिस समाज साम्हीं केई सवालां भेळै मिनख-लुगाई री बरोबरी रो सपनो ई राखै।
------------

पोतीवाड़ (उपन्यास) रीना मेनारिया
संस्करण-2015, पाना-112, मोल-200/-
प्रकासक-सुभद्रा पब्लिशर्स एण्ड डिस्ट्रीब्यूटर्स, दिल्ली

0 टिप्पणियाँ:

Post a Comment

डॉ. नीरज दइया की प्रकाशित पुस्तकें :

हिंदी में-

कविता संग्रह : उचटी हुई नींद (2013), रक्त में घुली हुई भाषा (चयन और भाषांतरण- डॉ. मदन गोपाल लढ़ा) 2020
साक्षात्कर : सृजन-संवाद (2020)
व्यंग्य संग्रह : पंच काका के जेबी बच्चे (2017), टांय-टांय फिस्स (2017)
आलोचना पुस्तकें : बुलाकी शर्मा के सृजन-सरोकार (2017), मधु आचार्य ‘आशावादी’ के सृजन-सरोकार (2017), कागद की कविताई (2018), राजस्थानी साहित्य का समकाल (2020)
संपादित पुस्तकें : आधुनिक लघुकथाएं, राजस्थानी कहानी का वर्तमान, 101 राजस्थानी कहानियां, नन्द जी से हथाई (साक्षात्कार)
अनूदित पुस्तकें : मोहन आलोक का कविता संग्रह ग-गीत और मधु आचार्य ‘आशावादी’ का उपन्यास, रेत में नहाया है मन (राजस्थानी के 51 कवियों की चयनित कविताओं का अनुवाद)
शोध-ग्रंथ : निर्मल वर्मा के कथा साहित्य में आधुनिकता बोध
अंग्रेजी में : Language Fused In Blood (Dr. Neeraj Daiya) Translated by Rajni Chhabra 2018

राजस्थानी में-

कविता संग्रह : साख (1997), देसूंटो (2000), पाछो कुण आसी (2015)
आलोचना पुस्तकें : आलोचना रै आंगणै(2011) , बिना हासलपाई (2014), आंगळी-सीध (2020)
लघुकथा संग्रह : भोर सूं आथण तांई (1989)
बालकथा संग्रह : जादू रो पेन (2012)
संपादित पुस्तकें : मंडाण (51 युवा कवियों की कविताएं), मोहन आलोक री कहाणियां, कन्हैयालाल भाटी री कहाणियां, देवकिशन राजपुरोहित री टाळवीं कहाणियां
अनूदित पुस्तकें : निर्मल वर्मा और ओम गोस्वामी के कहानी संग्रह ; भोलाभाई पटेल का यात्रा-वृतांत ; अमृता प्रीतम का कविता संग्रह ; नंदकिशोर आचार्य, सुधीर सक्सेना और संजीव कुमार की चयनित कविताओं का संचयन-अनुवाद और ‘सबद नाद’ (भारतीय भाषाओं की कविताओं का संग्रह)

नेगचार 48

नेगचार 48
संपादक - नीरज दइया

स्मृति में यह संचयन "नेगचार"

स्मृति में यह संचयन "नेगचार"
श्री सांवर दइया; 10 अक्टूबर,1948 - 30 जुलाई,1992

डॉ. नीरज दइया (1968)
© Dr. Neeraj Daiya. Powered by Blogger.

आंगळी-सीध

आलोचना रै आंगणै

Labels

101 राजस्थानी कहानियां 2011 2020 JIPL 2021 अकादमी पुरस्कार अगनसिनान अंग्रेजी अनुवाद अतिथि संपादक अतुल कनक अनिरुद्ध उमट अनुवाद अनुवाद पुरस्कार अनुश्री राठौड़ अन्नाराम सुदामा अपरंच अब्दुल वहीद 'कमल' अम्बिकादत्त अरविन्द सिंह आशिया अर्जुनदेव चारण आईदान सिंह भाटी आईदानसिंह भाटी आकाशवाणी बीकानेर आत्मकथ्य आपणी भाषा आलेख आलोचना आलोचना रै आंगणै उचटी हुई नींद उचटी हुई नींद. नीरज दइया उड़िया लघुकथा उपन्यास ऊंडै अंधारै कठैई ओम एक्सप्रेस ओम पुरोहित 'कागद' ओळूं री अंवेर कथारंग कन्हैयालाल भाटी कन्हैयालाल भाटी कहाणियां कविता कविता कोश योगदानकर्ता सम्मान 2011 कविता पोस्टर कविता महोत्सव कविता-पाठ कविताएं कहाणी-जातरा कहाणीकार कहानी काव्य-पाठ किताब भेंट कुँअर रवीन्द्र कुंदन माली कुंवर रवीन्द्र कृति ओर कृति-भेंट खारा पानी गणतंत्रता दिवस गद्य कविता गली हसनपुरा गवाड़ गोपाल राजगोपाल घिर घिर चेतै आवूंला म्हैं घोषणा चित्र चीनी कहाणी चेखव की बंदूक छगनलाल व्यास जागती जोत जादू रो पेन जितेन्द्र निर्मोही जै जै राजस्थान डा. नीरज दइया डायरी डेली न्यूज डॉ. अजय जोशी डॉ. तैस्सितोरी जयंती डॉ. नीरज दइया डॉ. राजेश व्यास डॉ. लालित्य ललित डॉ. संजीव कुमार तहलका तेजसिंह जोधा तैस्सीतोरी अवार्ड 2015 थार-सप्तक दिल्ली दिवाली दीनदयाल शर्मा दुनिया इन दिनों दुलाराम सहारण दुलाराम सारण दुष्यंत जोशी दूरदर्शन दूरदर्शन जयपुर देवकिशन राजपुरोहित देवदास रांकावत देशनोक करणी मंदिर दैनिक भास्कर दैनिक हाईलाईन सूरतगढ़ नगर निगम बीकानेर नगर विरासत सम्मान नंद भारद्वाज नन्‍द भारद्वाज नमामीशंकर आचार्य नवनीत पाण्डे नवलेखन नागराज शर्मा नानूराम संस्कर्ता निर्मल वर्मा निवेदिता भावसार निशांत नीरज दइया नेगचार नेगचार पत्रिका पठक पीठ पत्र वाचन पत्र-वाचन पत्रकारिता पुरस्कार पद्मजा शर्मा परख पाछो कुण आसी पाठक पीठ पारस अरोड़ा पुण्यतिथि पुरस्कार पुस्तक समीक्षा पुस्तक-समीक्षा पूरन सरमा पूर्ण शर्मा ‘पूरण’ पोथी परख प्रज्ञालय संस्थान प्रमोद कुमार शर्मा फोटो फ्लैप मैटर बंतळ बलाकी शर्मा बसंती पंवार बातचीत बाल कहानी बाल साहित्य बाल साहित्य पुरस्कार बाल साहित्य समीक्षा बाल साहित्य सम्मेलन बिणजारो बिना हासलपाई बीकानेर अंक बीकानेर उत्सव बीकानेर कला एवं साहित्य उत्सव बुलाकी शर्मा बुलाकीदास "बावरा" भंवरलाल ‘भ्रमर’ भवानीशंकर व्यास ‘विनोद’ भारत स्काउट व गाइड भारतीय कविता प्रसंग भाषण भूमिका मंगत बादल मंडाण मदन गोपाल लढ़ा मदन सैनी मधु आचार्य मधु आचार्य ‘आशावादी’ मनोज कुमार स्वामी मराठी में कविताएं महेन्द्र खड़गावत माणक माणक : जून मीठेस निरमोही मुकेश पोपली मुक्ति मुक्ति संस्था मुरलीधर व्यास ‘राजस्थानी’ मुलाकात मोनिका गौड़ मोहन आलोक मौन से बतकही युगपक्ष युवा कविता रक्त में घुली हुई भाषा रजनी छाबड़ा रजनी मोरवाल रतन जांगिड़ रमेसर गोदारा रवि पुरोहित रवींद्र कुमार यादव राज हीरामन राजकोट राजस्थली राजस्थान पत्रिका राजस्थान सम्राट राजस्थानी राजस्थानी अकादमी बीकनेर राजस्थानी कविता राजस्थानी कविता में लोक राजस्थानी कविताएं राजस्थानी कवितावां राजस्थानी कहाणी राजस्थानी कहानी राजस्थानी भाषा राजस्थानी भाषा का सवाल राजस्थानी युवा लेखक संघ राजस्थानी साहित्यकार राजेंद्र जोशी राजेन्द्र जोशी राजेन्द्र शर्मा रामपालसिंह राजपुरोहित रीना मेनारिया रेत में नहाया है मन लघुकथा लघुकथा-पाठ लालित्य ललित लोक विरासत लोकार्पण लोकार्पण समारोह विचार-विमर्श विजय शंकर आचार्य वेद व्यास व्यंग्य व्यंग्य-यात्रा शंकरसिंह राजपुरोहित शतदल शिक्षक दिवस प्रकाशन श्याम जांगिड़ श्रद्धांजलि-सभा श्रीलाल नथमल जोशी श्रीलाल नथमलजी जोशी संजय पुरोहित संजू श्रीमाली सतीश छिम्पा संतोष अलेक्स संतोष चौधरी सत्यदेव सवितेंद्र सत्यनारायण सत्यनारायण सोनी समाचार समापन समारोह सम्मान सम्मान-पुरस्कार सम्मान-समारोह सरदार अली पडि़हार संवाद सवालों में जिंदगी साक्षात्कार साख अर सीख सांझी विरासत सावण बीकानेर सांवर दइया सांवर दइया जयंति सांवर दइया जयंती सांवर दइया पुण्यतिथि सांवर दैया साहित्य अकादेमी साहित्य अकादेमी पुरस्कार साहित्य सम्मान सीताराम महर्षि सुधीर सक्सेना सूरतगढ़ सृजन कुंज सृजन संवाद सृजन साक्षात्कार हम लोग हरदर्शन सहगल हरिचरण अहरवाल हरीश बी. शर्मा हिंदी अनुवाद हिंदी कविताएं हिंदी कार्यशाला होकर भी नहीं है जो