Sunday, January 05, 2020

मौन को मुखर करती कहानियां / डॉ. नीरज दइया

“जीवन एक सारंगी” मधु आचार्य ‘आशावादी’ का पांचवा कहानी संग्रह है। इस से पूर्व उनके चार कहानी संग्रह- ‘सवालों में जिंदगी’, ‘अघोरी’, ‘सुन पगली’ और ‘अनछुआ अहसास और अन्य कहानियां’ प्रकाशित हैं। साहित्यकार ‘आशावादी’ के लेखन के विविध आयाम है, वे रंगकर्म-नाटक के क्षेत्र से अब विगत मात्र तीन-चार वर्षों से साहित्य-लेखन में बेहद सक्रिय हैं। नाटक, कविता, कहानी, उपन्यास, व्यंग्य और बाल साहित्य लेखन-संपादन के अंतर्गत 34 पुस्तकों का प्रकाशन एक कीर्तिमान है। उनका यह कहानी संग्रह पूर्व-संग्रहों की तुलना में शैल्पिक, भाषिक बदलाव के साथ जैसे नई करवट लेता है। प्रख्यात आलोचक डॉ. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने ब्लर्ब में लिखा है- “जीवन एक सारंगी की बहुत सारी कहानियों का घटनाक्रम बहुत विस्तृत है, लेकिन लेखक ने उसे कम शब्दों में समेटने का प्रयास किया है। लगता है जैसे हम कहानी के शिल्प में कोई उपन्यास पढ़ रहे हैं।" 
    जीवन की व्यापकता और विशालता के बोध से सजी इन कहानियों में कठोर यथार्थ की अनुगूंज है तो वहीं सूत्रबद्धता के लिए कल्पना की ऊंची उड़ान भी है। कहानी ‘जीवित मुस्कान’ का फोटोग्राफर सलीम एक ऐसा अविस्मरणीय कथा-नायक है, जिसकी गरीबी और तकलीफ का मुह बोलता चित्रण कहानी में हुआ है। जीवन के अंतिम पल वह योद्धा की भांति बिना हारे जीवन की अभिलाषा में संघर्षरत है। कहानी के अंतिम अनुच्छेद से पंक्तियां देखें- “सलीम का शरीर मर सकता है। पर उसकी यह मुस्कान सदा जीवित रहेगी। हर अपने के जेहन में यह मुस्कान रहेगी। इसको इसकी मुस्कान जिंदा रखेगी, सालों सालों तक।” कहा जा सकता है कि मधु आचार्य जीवन के विशाद में भी मुस्कान का संदेश और प्रेरणा देने वाले रचनाकार हैं।
    यह महज संयोग है कि संग्रह में आगे की तीन कहानियां मृत्यु और नियति के अद्वितीय चित्र को प्रस्तुत करती है। कहानी ‘जीने का श्राप’ की नायिका मोहिनी अपने संघर्ष को व्यंजित करती है, अंततः शराबी पति और पथ-भ्रष्ट संतान से तंग आकार कथा-नायिका का जीवन से पलायन है। कहानी में घरेलू नौकरानी पर आंख रखने वाले सेठ गोविंद लाल जैसे लोलुप का सुंदर चित्रण है। ‘सांसों का संघर्ष’ कहानी इसी के समानांतर सास और पति से परेशान एक घरेलू महिला के प्रतिशोध और हत्या की कहानी है। स्थितियों से एक स्त्री का पलायन है तो दूसरी तरफ आक्रोश अपने चरम पर। पात्रों और चरित्रों का सहज स्वभाविक विकास एवं संवादों का प्रभावशाली प्रस्तुतीकरण से कहानी अंत तक पाठकों को बांधे रखती है। ‘बूढ़ा प्रतिशोध’ कहानी विचार की प्रस्तुति है कि प्रतिशोध कभी बूढ़ा नहीं होता। पारिवारिक संघर्षों का छोटे-छोटे संवादों और घटनाक्रमों में ढाला गया है दूसरे शब्दों में कहें तो यह कहानी वर्तमान समय और समाज की सच्चाई से हमें रू-ब-रू कराती है।
    शीर्षक कहानी ‘जीवन एक सारंगी’ असल में कथा-नायिका के कविता संग्रह का नाम है। रेणु नामक कथा-नायिका स्त्री-जीवन की त्रासदी को व्यंजित करती है। कहानी का आरंभिक अंश देखें- “जीवन एक सारंगी की तरह है। इस सारंगी को वही बजा सकता है जिसके पास शब्द हो। अपनी स्व-स्फूर्त संवेदना हो।  इन दोनों के बिना इस सारंगी को बजा पाना संभव नहीं। असली जीवन भी यही है। पैसा, पद, प्रतिष्ठा की प्राप्ति को जीवन मान लेने वाले बड़ी भूल करते हैं। शब्द और संवेदना से उपजने वाला संगीत ही जीवन की सारंगी के मधुर और नव स्वर ही जीने को सार्थक बनाते हैं। दरअसल ऐसा करने वालों को ही जीने का अधिकार है। नहीं तो पशु और हमारे जीने में कोई अंतर ही नहीं है।” यह कहानी जीवन के एकांत और त्रासदी के साथ उसके भीतर बसी स्त्री की रचनाशीलता को उजागर करती है।
    औपन्यासिक विस्तार की इन कहानियों में विविधता है। कहानी ‘चैंज द गेम’ में अनामिका का कवि रूप और फेस-बुक की दुनिया है, तो आधुनिकता के इस दौर में नवीन स्थापनाएं भी। ‘टूटन की त्रासदी’ ऐसी अविस्मरणीय घटना का कहानी के रूप में प्रस्तुतीकरण है कि पाठक अंत तक विजय के मौन रहने और सब कुछ सहज स्वीकार लेने से मुठभेड करता है। कहानी ‘प्रतीक्षा’ में मां-बेटी का अनूठा संवाद से जीवन के अनेक मार्मिक रहस्यों को समझने-समझाने के साथ परिस्थियों का सच उद्घाटित करती है। इन कहानियों को पढ़ते हुए लगता है कि इन में प्रस्तुत चरित्रों एवं घटना-क्रमों से कहानीकार का एक खास रिस्ता रहा है। यहां यर्थाथ अथवा काल्पनिकता से जिन जीवंत चरित्र को प्रस्तुत किया है, वे पाठकों की सहानुभूति बटोरते हुए संवेदनाओं को जाग्रत करने वाले हैं। अपनी पूर्व कहानियों की तुलना में कहानीकार आशावादी यहां पात्रों-चरित्रों के मन में अधिक गहरे पैठ कर मार्मिकता के साथ उनके अंतर्मन को उद्घाटित करते हैं। निश्चय ही ये कहानियां अपने पाठकों को मंत्र-मुग्ध करने वाली हैं।
- डॉ. नीरज दइया
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पुस्तक : जीवन एक सारंगी / विधा : कहानी
कहानीकार : मधु आचार्य ‘आशावादी’
संस्करण : 2016, प्रथम / पृष्ठ : 120, मूल्य : 200/-
प्रकाशक : सूर्य प्रकाशन मंदिर, दाऊजी रोड (नेहरू मार्ग), बीकानेर- 334005

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डॉ. नीरज दइया की प्रकाशित पुस्तकें :

हिंदी में-

कविता संग्रह : उचटी हुई नींद (2013), रक्त में घुली हुई भाषा (चयन और भाषांतरण- डॉ. मदन गोपाल लढ़ा) 2020
साक्षात्कर : सृजन-संवाद (2020)
व्यंग्य संग्रह : पंच काका के जेबी बच्चे (2017), टांय-टांय फिस्स (2017)
आलोचना पुस्तकें : बुलाकी शर्मा के सृजन-सरोकार (2017), मधु आचार्य ‘आशावादी’ के सृजन-सरोकार (2017), कागद की कविताई (2018), राजस्थानी साहित्य का समकाल (2020)
संपादित पुस्तकें : आधुनिक लघुकथाएं, राजस्थानी कहानी का वर्तमान, 101 राजस्थानी कहानियां, नन्द जी से हथाई (साक्षात्कार)
अनूदित पुस्तकें : मोहन आलोक का कविता संग्रह ग-गीत और मधु आचार्य ‘आशावादी’ का उपन्यास, रेत में नहाया है मन (राजस्थानी के 51 कवियों की चयनित कविताओं का अनुवाद)
शोध-ग्रंथ : निर्मल वर्मा के कथा साहित्य में आधुनिकता बोध
अंग्रेजी में : Language Fused In Blood (Dr. Neeraj Daiya) Translated by Rajni Chhabra 2018

राजस्थानी में-

कविता संग्रह : साख (1997), देसूंटो (2000), पाछो कुण आसी (2015)
आलोचना पुस्तकें : आलोचना रै आंगणै(2011) , बिना हासलपाई (2014), आंगळी-सीध (2020)
लघुकथा संग्रह : भोर सूं आथण तांई (1989)
बालकथा संग्रह : जादू रो पेन (2012)
संपादित पुस्तकें : मंडाण (51 युवा कवियों की कविताएं), मोहन आलोक री कहाणियां, कन्हैयालाल भाटी री कहाणियां, देवकिशन राजपुरोहित री टाळवीं कहाणियां
अनूदित पुस्तकें : निर्मल वर्मा और ओम गोस्वामी के कहानी संग्रह ; भोलाभाई पटेल का यात्रा-वृतांत ; अमृता प्रीतम का कविता संग्रह ; नंदकिशोर आचार्य, सुधीर सक्सेना और संजीव कुमार की चयनित कविताओं का संचयन-अनुवाद और ‘सबद नाद’ (भारतीय भाषाओं की कविताओं का संग्रह)

नेगचार 48

नेगचार 48
संपादक - नीरज दइया

स्मृति में यह संचयन "नेगचार"

स्मृति में यह संचयन "नेगचार"
श्री सांवर दइया; 10 अक्टूबर,1948 - 30 जुलाई,1992

डॉ. नीरज दइया (1968)
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