Saturday, January 04, 2020

कहानियां ऐसी जो बाल मन को छू जाए / नीरज दइया

भी यह स्वीकार करते हैं कि बच्चों की कहानियां ऐसी होनी चाहिए जो उनके मन को छू जाए। किसी मन को छूना आसान बात नहीं है किंतु कुछ रचनाएं यह मुश्किल काम भी आसान बना देती है। कहानी के माध्यम से यह कैसे हो सकता है, इसका कोई तयशुदा फार्मूला नहीं है किंतु कहनीकार ओमप्रकाश भाटिया अपने बाल कथा संग्रह ‘आंखों में आकाश’ में ऐसा संभव करते देखे जा सकते हैं। शीर्षक कहानी बहुत मार्मिक और बहुत सहजता से रची गई है। कपिल अपनी दादी का लाडला नवोदय विद्यालय में पढ़ने नहीं जाना चाहता है किंतु उसे पारिवारिक दबाब के चलते प्रवेश परीक्षा देनी पड़ती है। परीक्षा में फेल होने के बालसुलभ उपाय और दादी-पोते के संवाद लुभावने हैं। कहानी के अंत में उनकी योजना का असफल हो जाना कहानी में जिस सरलता, सहजता से चित्रित हुआ है उसे देखकर बच्चे तो बच्चे बड़े भी बच्चे बन ठगे से रह जाते हैं। “कपिल रूआंसा हो गया। सरलता से बोला- क्या करूं दादी मां। मुझे लगभग सभी सवाल आते थे अर मैं उनका सही जवाब भी लिख आया हूं। दादी मां पेपर देखते ही न जाने क्या हुआ कि मैं अपनी योजना भूल गया। अब तो मेरा चयन जरूर हो जाएगा। मैं चाहते हुए भी गलत जवाब नहीं दे पाया। मुझे माफ कर दीजिए दादी मां।” इसी के समानांतर कहानीकार भाटिया ने चिड़िया के बच्चों के द्वारा बड़ा होने पर घोंसला छोड़ने का रूपक कहानी में प्रस्तुत करते हुए सुंदर संदेश समाहित कर दिया है। ‘हां बेटा उड़ने के लिए घोंसला तो छोड़ना ही पड़ता है।’ दादी का यह कथन परिपक्कव होते बच्चे के पाठ पर विश्वास करना कहा जा सकता है। बिना किसी सीधे संदेश के कहानी अपनी सांकेकिता सूक्ष्मता में बहुत कुछ कह जाती है। निसंदेह यह कहानी बाल मन को छूने और लंबे समय तक उनके स्मरण में रहने वाली है।
दूसरी कहानी ‘घोड़ा ना बने राजा’ में घोड़ों और गधों के माध्यम से अपने अपने क्षेत्र में निरंतर कार्य करने की प्रेरणा दी गई है वहीं ‘अमर शहीद पूनमसिंह भाटी’ में देश की खातिर अपनी जान न्यौछावर करने वाले अमर शहीद की दास्तान कहनी के रूप में प्रस्तुत हुई है। ओमप्रकाश भाटिया के इस बाल कहानी संग्रह में जैसलमेर परिक्षेत्र से जुड़ी इस कहानी के अलावा ‘लहराये तिरंगा प्यरा : छगन हठीला’, ‘जन-सेना’ और ‘धुआं कर’ जैसी कहानियां भी संग्रहित है। देश भक्ति की भावना यही आरंभ से ही बच्चों के मन में जाग जाए तो वे निसंदेह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे। मानवीय मूल्यों और नौतिकता की भावना के लिए बिना किसी सीधे सीधे संकेत अथवा उपदेश के कहानी में जैसे को तैसा कर सुधारने की प्रवृति का ब्यौरा ‘टप्पलबाज’ कहानी में देखा सकते हैं। रोहित को सुधारने के लिए उसके दोस्तों ने जो उसके साथ किया वह मार्ग अनुचित होते हुए भी कहानी में जिस ढंग से चित्रित किया है वह बालकों को सावधान करने के लिए पर्याप्त है। इसी प्रकार ‘वह सुधर जाए’ में दो दोस्तों की कहानी में समय के साथ एक का दूसरे को बदल देने के लिए सद्व्य्वहार प्रभावित करता है।
कहानीकार ओमप्रकाश भाटिया की इन कहानियों की विशेषता छोटे-छोटे सहज संवादों और कथानक को आगे बढ़ाने के लिए प्रयुक्त युक्तियां हैं। वे बाल मनोविज्ञान के अनुसार चरित्र को उसके परिवेश से जोड़ते हुए बहुत कम शब्दों में शीर्ष पर ले जाने में विश्वास रखते हैं। ‘अपने काम अपने हाथ’ कहानी में बच्चों को अपना काम खुद करने की प्रेरणा है वहीं माता-पिता को उनके द्वारा किए जाने वाले अनावश्यक सहयोग नहीं करने का संदेश भी है। बालक के भीतर छुपी हुई सृजनात्मकता को तभी बाहर लाया जा सकता है जब वह स्वयं करके सीखे और सीखे ऐसा कि उस सीखने में आनंद का भाव निहित होना चाहिए। एक अन्य कहानी ‘हो ली अपनी होली’ में जहां होली का हुडदंग है वहीं जानवरों को आनावश्यक रूप से ऐसे मौकों पर तंग करने की पीड़ा भी अभिव्यक्त हुई है। ‘पानी की खेती’ कहानी में ग्रामीण और शहरी परिवेश का अंतर प्रस्तुत हुआ है, वहीं बालकों को अपनी जड़ों और जमीन से जुड़ कर विकास की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। यहां जल-प्रबंधन के विषय में बालकों को कहानी के माध्यम से नवीन जानकारी भी मिलेगी। ‘आंखों में आकाश’ एक ऐसा बाल कहानी संग्रह है जिसमें रोचकता, सहजता और सरलता के सूत्रों से गूंथी बाल कहानियां बच्चों को न केवल मोहित वरन मनोरंजन के साथ प्रेरित और संस्कारित भी करेंगी।
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पुस्तक : आंखों में आकाश (बाल कथा-संग्रह)
लेखक : ओमप्रकाश भटिया
प्रकाशक : रॉयल पब्लिकेशन, 18, शक्ति कॉलोनी, गली नंबर 2, लोको शेड रोड, रातानाड़ा, जोधपुर
संस्करण : 2019, पृष्ठ : 56, मूल्य : 80/-
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बाल वाटिका : जनवरी, 2020 अंक में प्रकाशित

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साक्षात्कर : सृजन-संवाद (2020)
व्यंग्य संग्रह : पंच काका के जेबी बच्चे (2017), टांय-टांय फिस्स (2017)
आलोचना पुस्तकें : बुलाकी शर्मा के सृजन-सरोकार (2017), मधु आचार्य ‘आशावादी’ के सृजन-सरोकार (2017), कागद की कविताई (2018), राजस्थानी साहित्य का समकाल (2020)
संपादित पुस्तकें : आधुनिक लघुकथाएं, राजस्थानी कहानी का वर्तमान, 101 राजस्थानी कहानियां, नन्द जी से हथाई (साक्षात्कार)
अनूदित पुस्तकें : मोहन आलोक का कविता संग्रह ग-गीत और मधु आचार्य ‘आशावादी’ का उपन्यास, रेत में नहाया है मन (राजस्थानी के 51 कवियों की चयनित कविताओं का अनुवाद)
शोध-ग्रंथ : निर्मल वर्मा के कथा साहित्य में आधुनिकता बोध
अंग्रेजी में : Language Fused In Blood (Dr. Neeraj Daiya) Translated by Rajni Chhabra 2018

राजस्थानी में-

कविता संग्रह : साख (1997), देसूंटो (2000), पाछो कुण आसी (2015)
आलोचना पुस्तकें : आलोचना रै आंगणै(2011) , बिना हासलपाई (2014), आंगळी-सीध (2020)
लघुकथा संग्रह : भोर सूं आथण तांई (1989)
बालकथा संग्रह : जादू रो पेन (2012)
संपादित पुस्तकें : मंडाण (51 युवा कवियों की कविताएं), मोहन आलोक री कहाणियां, कन्हैयालाल भाटी री कहाणियां, देवकिशन राजपुरोहित री टाळवीं कहाणियां
अनूदित पुस्तकें : निर्मल वर्मा और ओम गोस्वामी के कहानी संग्रह ; भोलाभाई पटेल का यात्रा-वृतांत ; अमृता प्रीतम का कविता संग्रह ; नंदकिशोर आचार्य, सुधीर सक्सेना और संजीव कुमार की चयनित कविताओं का संचयन-अनुवाद और ‘सबद नाद’ (भारतीय भाषाओं की कविताओं का संग्रह)

नेगचार 48

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स्मृति में यह संचयन "नेगचार"

स्मृति में यह संचयन "नेगचार"
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