पुरस्कार ही सब कुछ नहीं होता
------
टिप्पणी : Krishna Kalpit : श्रद्धांजलि वे लोग भी दे रहे हैं जिन्होंने रघुराजसिंह हाड़ा को राजस्थानी का साहित्य अकादमी पुरस्कार नहीं लेने दिया । आधुनिक कचरा राजस्थानी कविता और दो कौड़ी के कवियों को पुरस्कृत करने वाले लोगों की यह अश्लील कार्यवाही है । कल्याणसिंह राजावत को आपने पुरस्कृत नहीं किया । न दुर्गादान गौड़ को । न गजानन वर्मा को । न गोरधनसिंह शेखावत को, न हरीश भदानी को, न भगीरथसिंह भाग्य को । आप को शर्म भी नहीं आती । जितने भी कवि अब तक साहित्य अकादमी से पुरस्कृत हुये हैं सत्यप्रकाश जोशी और नारायणसिंह भाटी कन्हैयालाल सेठिया और रेवंतदानजी को छोड़कर वे हाड़ा जी के जूतों की पोलिश करने के काबिल भी नहीं हैं । देवल समेत । शर्म करो । डूब मरो । हाड़ा जी की कविता की बराबरी करने को राजस्थानी के पुरस्कृत कवियों को कई जन्म लेने होंगे ।
हालांकि मैं भी राजस्थानी हूँ लेकिन एक बार तेजसिंह जोधा से पूछा कि ये चंद्रप्रकाश देवल कैसा कवि है तो जोधा ने कहा कि ये बिज्जी का जँवाई है और इसकी सारी कविताएँ प्री-मेच्योर-डिलीवरियाँ हैं । ऐसे ऐसे संदिग्ध कवि भी पुरस्कृत और पद्मश्री हैं । क्या किया जाए ।
अगले जन्म में ये देवल और सारे नक़ली राजस्थानी कवि बकरियां चराएंगे और हाड़ा जी और राजावतजी के गीत गुनगुनायेंगे ।
धिक्कार है !
हूँ निरखण लाग्यो कबूतरां रो जोड़ो !
-------
अब तक साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत राजस्थानी कवि-
2018 कविता देवै दीठ (कविता संग्रह) डॉ. राजेश कुमार व्यास
2013 आंथ्योदई नहीं दिन हाल (कविता-संग्रह) अम्बिकादत्त
2012 आँख हींयै रा हरियल सपना (कविता–संग्रह) आईदान सिंह भाटी
2010 मीरां (महाकाव्य) मंगत बादल
2003 सिमरण (कविता–संग्रह) संतोष मायामोहन
1999 सीर रो घर (कविता–संग्रह) वासु आचार्य
1997 उतर्यो है आभो (कविता–संग्रह) मालचंद तिवाड़ी
1995 कूख पड़यै री पीड़ (कविता–संकलन) किशोर कल्पनाकांत
1991 म्हारी कवितावां (कविता–संकलन) प्रेमजी प्रेम
1990 उछालो (कविता–संकलन) रेवतदान चारण ‘कल्पित’
1988 अणहद नाद (कविता–संग्रह) भगवतीलाल व्यास
1987 सगळां री पीडा स्वातमेघ (कविता–संग्रह) नैनमल जैन
1986 द्वारका (कविता–संग्रह) महावीर प्रसाद जोशी
1984 मरु–मंगल (कविता–संग्रह) सुमेर सिंह शेखावत
1983 गा–गीत (कविता–संग्रह) मोहन आलोक
1981 बरसण रा देगोडा डूंगर लाँघिया (कविता–संग्रह) नारायण सिंह भाटी
1980 म्हारो गाँव (कविता–संग्रह) रामेश्वर दयाल श्रीमाली
1979 पागी (कविता–संग्रह) चंद्रप्रकाश देवल
1977 बोल भारमली (काव्य) सत्यप्रकाश जोशी
1976 लीलटांस (कविता–संग्रह) कन्हैयालाल सेठिया
1975 पगफेरो (कविता–संग्रह) मणि मधुकर
--------
कवि चंद्रप्रकाश देवल जी का राजस्थानी को विपुल अवदान रहा है। कोई कवि अपने अग्रज किसी दूसरे कवि से छोटा-बड़ा उम्र और अनुभव में हो सकता है, पर वैसे कोई कवि किसी से छोटा-बड़ा नहीं होता है।
मेरा दावा है कि आदरणीय कल्पित जी ने ना आदरणीय रघुसिंह हाड़ा को पूरा पढ़ा है और ना देवल जी को। सारे नकली कवि केवल राजस्थानी में ही नहीं है, निसंदेह आप नाराज होंगे पर हमने हमारे एक कवि को खोया है और उसके शोक पर आपका यह कथन अशोभनीय है। राजस्थानी कवि बकरियां चराएंगे से मेरी व्यक्तिगत अहसमति है। यहां उपस्थित शेष बंधु अपनी जाने।
कृपया इसे ऐसा नहीं समझे कि म्हैं आपरी भैंस रै भाठो मारियो है।
0 टिप्पणियाँ:
Post a Comment