अदीतवार तो बस अदीवार हुवै / अनुवाद - नीरज दइया
मूळ रचनाकार - शौकत थानवी (1904 - 1963 लाहौर, पाकिस्तान)
हिंदी अनुवाद - अखतर अली / राजस्थानी अनुवाद - नीरज दइया
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अदीतवार जिसो मनमोबणो, रूपाळो अर रळियावणो हफतै मांय कोई दूजो दिन कोनी हुवै। इण दुनिया मांय म्हारी निजरां मांय बो मिनख सगळा सूं सिरै आदरजोग, पूजनीक, उस्तादां मांयलो उस्ताद, गुणियां मांयलो गुणी है जिको अदीवार नै अदीतवार बणायो। वैज्ञानिकां मोकळी खोज करी पण बै ई उण मिनख नै सलाम ठोकै जिण अदीवार री खोज करी। लोगां नै सनिवार फगत इण सारू दाय अवै कै सनिवार पछै अदीतवार आवै। अदीतवार रै आवण री लाडा-कोड़ा उडीक राखीजै अर अदीतवार रै टिप्यां बित्तो ई सापो करीजै। सनिवार री कोख सूं अदीतवार रो जलम हुवै अर सोमवार रै हाथां सूं उण री हित्या। अदीतवार... जिण सारू दिन गिण-गिण’र काढीजै।
अदीतवार री कदर तो म्हे नौकरी करणिया लोग ई जाणां, ठाला अर बेरुजगार लोगां खातर कांई तो अदीतवार अर कांई बुधवार? ऐ लोग तो जिण दिन म्हनै मुळकतो देखै, समझ जावै कै हुवो ना हुवो आज अदीतवार पक्को है। अदीतवार रै एक दिन खातर ई तो म्हैं लोग मिनखां री गिणती मांयला हुवां बाकी रै दिनां मांय तो मसीन हुवां, जिण रो एक ऑपरेटर ई हुया करै। ऑपरेटर म्हां लोगां मांय आखै दिन खातर जाणै काम भेळो कर’र ठसा-ठसा’र भर देवै अर म्हां लोगां रो मगज काढ’र स्टोर रूम मांय जमा कर लियो जावै। फेर बो कैवै कै लिखो, तो म्हे लिखण ढूकां, बो कैवै- इण नै अठै, इण नै अठै अर इण नै अठै राखो, तो म्हे लोग उण नै बठै, उण नै बठै अर उण नै बठै धरता रैवां। फेर कैयो जावै कै अबै अठै सूं बठै पधारो तो फेर बठै सूं अठै पधारो। इण भांत सोमवार सूं सनिवार तांई री जातरा म्हे लोग मसीन बण’र करता रैवां अर फेर सनिवार री सिंझ्या घरै आवती बगत म्हां लोगां नै एक दिन खातर म्हांरो मगज पाछो देय दियो जावै।
अदीतवार ई फगत एक दिन है जिण दिन म्हे म्हांरी मरजी सूं खुद खातर कीं काम करां अर ओ अदीतवार रो ई कमाल है कै अदीतवार रै दिन मिनख थाकै ई कोनी।
जे म्हारी जलम तारीख सूं म्हारी ऊमर काढसो तो बा म्हनै तो मंजूर कोनी। गणित रै जोड़ रो नेम अठै लागू कोनी होय सकै, क्यूं कै गणित रा विद्वान जद म्हारी जूण रा दिन गिणैला तद बै हफतै मांय सात, महीनै मांय तीस अर साल रा तीन सौ पैसठ दिन ई गिणैला। म्हैं म्हारी ऊमर मांय बै दिन क्यूं जोड़ण देवूं जिका नै म्हैं म्हारै खातर जीयो ई कोनी। म्हैं तो म्हारी ऊमर हफतै मांय एक दिन, महीनै मांय चार दिन अर साल मांय बावन दिनां मुजब ई गिणूंला, क्यूं कै इत्ता ई दिन तो म्हारा खुद रा दिन है, इत्ता ई दिन म्हैं म्हारै खातर जीया जूण भोगी।
अदीतवार बो दिन हुवै जिण री लंबाई कोनी हुया करै गैराई हुवै, उण रो क्षेत्रफल कोनी हुवै आयतन हुवै। जियां करसो खेत मांय फसल देख’र राजी हुवै, बियां ई म्हे कलैंडर मांय अदीतवार नै देख’र राजी हुवां। उण महीनै म्हां लोगां नै अणमाप हरख हुवै जिण महीनै कलैंडर मांय पांच अदीतवार दीसै। जद म्हैं सोमवार रै डागळै ऊभो हुय’र देखूं तद उण पार आपरी छात माथै ऊभो अदीतवार निगै आवै जिको सैन मांय म्हनै खुद पाखती बुलावै, तद म्हैं मंगळ, बुध, गुरु, सुक्र अर सनि रा डागळा डाक’र अदीतवार तांई पूग जावूं अर उण नै बाथा भर लेवूं। इण मांय कोई दोय राय कोनी कै अदीतवार ई म्हारै जैड़ै कदरदान नै खुद खन्नै देख’र आपरै भाग नै सरावतो हुवैला।
जियां सायर खातर चांद, भूखै खातर रोटी, नेता खातर रैली महतावू हुवै, ठीक बियां ई महतावूं हुवै नौकरी करणिया मिनखां खातर अदीवार। अदीतवार आपां लोगां खातर कित्तो हरख लेय’र पधारै पण आपां अदीतवार साथै साव कोझो बरताव करां, आपां तो अदीतवार रो सोसण करां सोसण। अदीतवार रै भोडकै माथै इत्तो लादो लाद देवां कै बो बापड़ो खिण भर खातर ई निरांयत री सांस नीं लेय सकतो हुवैला। साइकिल रिपेरिंग अदीतवार नै, बूट पालिस अदीतवार नै, कपड़ा प्रेस अदीतवार नै, पीसणो पिसासां अदीतवार नै, किणी सूं मिलण नै जासां अदीतवार नै, सिनेमा जासां अदीतवार नै, तासा रमसां अदीतवार नै अर आं सगळा सूं ठाडी बात टांगां छीदी कर’र मोड़ै तांई सूता रैसां अदीतवार नै।
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