Wednesday, November 26, 2014
Monday, November 24, 2014
नानूराम संस्कर्ता स्मृति राजस्थानी साहित्य सम्मान
व्यंग्यकार नागराज शर्मा का सम्मान, संस्कर्ता जी के अवदान को याद किया ख्यातनाम साहित्यकार नानूराम संस्कर्ता की पुण्यतिथि पर बीकानेर जिले के कालू कस्बे के मां जगदम्बा यात्री निवास घर सभागार में मंगलवार को ओंळू री अंवेर कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर नानूराम संस्कर्ता स्मृति साहित्य सम्मान से पिलानी के नामी व्यंग्यकार नागराज शर्मा को सम्मानित किया गया। समारोह में साहित्य अकादमी के बाल साहित्य पुरस्कार से अलंकृत नीरज दइया व युवा पुरस्कार से सम्मानित राजूराम बिजारणियां का अभिनन्दन किया गया।
लोक साहित्य प्रतिष्ठान व चंद्रसाहित्य प्रकाशन की ओर से आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व भाजपा मण्डल अध्यक्ष हजारीराम सारस्वत ने कहा कि राजस्थानी हमारी मातृ भाषा है। मां, मातृभूमि व मातृ भाषा का दर्जा सबसे उपर होता है। व्यंग्यकार व बिणजारो पत्रिका के
सम्पादक नागराज शर्मा ने कहा कि यह सम्मान उनके लिए गर्व का विषय है क्योंकि इसके साथ राजस्थानी के पुरोधा नानूराम संस्कर्ता का नाम जुड़ा है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि भाजपा नेता सुरेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि राजस्थानी विष्व की समृद्धतम भाषाओं में से एक है। संवैधानिक मान्यता इसका वाजिब हक है। जिसे पाने के लिए हम सबको सामूहिक प्रयास करना होगा। व्याख्याता डॉ. गजादान चारण ने कहा कि नानूराम संस्कर्ता ने राजस्थानी कहानी को नई जमीन दी। उनकी भाषा हमारी गर्व करने योग्य विरासत है। चर्चित कवि आलोचक डा नीरज दइया ने नई पीढ़ी को भाषा व साहित्य से जोड़ने की जरूरत बताई। डॉ मदन गोपाल लढ़ा ने कहा कि संस्कर्ता जी का साहित्य गा्रमीण समाज की आंकाक्षाओं व अवरोधों का प्रामाणिक दस्तावेज है। डॉ महेन्द्र मील ने कहा कि साहित्य समाज को संस्कारित करता है। राजूराम बिजारणियां ने नानूराम संस्कर्ता के प्रकृति काव्य को अनूठा बताया। कार्यक्रम में कवयित्री मोनिका गौड़,, प्रकाशदान चारण व समाजसेवी सीताराम सारस्वत ने विचार व्यक्त किये। बाल साहित्यकार रामजीलाल घोड़ेला ने नागराज शर्मा का परिचय दिया। लोक साहित्य प्रतिष्ठान की ओर से शिवराज संस्कर्ता ने आगंतुकों का स्वागत किया। इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरूआत मां सरस्वती व संस्कर्ता जी के तैल चित्र पर माल्यापर्ण से की गई। बालिकाओं ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। नानूराम संस्कर्ता साहित्य सम्मान समिति की ओर से नागराज शर्मा का शाल, श्रीफल, प्रशस्ति पत्र व नकद राशि से अभिनन्दन किया गया। कार्यक्रम का मंच संचालन कमल पिपलवा ने किया। तीर्थराज संस्कर्ता ने आभार जताया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्यकार, शिक्षक, ग्रामीण, विद्यार्थी शामिल हुए।
डॉ. नीरज दइया की प्रकाशित पुस्तकें :
हिंदी में-
कविता संग्रह : उचटी हुई नींद (2013), रक्त में घुली हुई भाषा (चयन और भाषांतरण- डॉ. मदन गोपाल लढ़ा) 2020
साक्षात्कर : सृजन-संवाद (2020)
व्यंग्य संग्रह : पंच काका के जेबी बच्चे (2017), टांय-टांय फिस्स (2017)
आलोचना पुस्तकें : बुलाकी शर्मा के सृजन-सरोकार (2017), मधु आचार्य ‘आशावादी’ के सृजन-सरोकार (2017), कागद की कविताई (2018), राजस्थानी साहित्य का समकाल (2020)
संपादित पुस्तकें : आधुनिक लघुकथाएं, राजस्थानी कहानी का वर्तमान, 101 राजस्थानी कहानियां, नन्द जी से हथाई (साक्षात्कार)
अनूदित पुस्तकें : मोहन आलोक का कविता संग्रह ग-गीत और मधु आचार्य ‘आशावादी’ का उपन्यास, रेत में नहाया है मन (राजस्थानी के 51 कवियों की चयनित कविताओं का अनुवाद)
शोध-ग्रंथ : निर्मल वर्मा के कथा साहित्य में आधुनिकता बोध
अंग्रेजी में : Language Fused In Blood (Dr. Neeraj Daiya) Translated by Rajni Chhabra 2018
राजस्थानी में-
कविता संग्रह : साख (1997), देसूंटो (2000), पाछो कुण आसी (2015)
आलोचना पुस्तकें : आलोचना रै आंगणै(2011) , बिना हासलपाई (2014), आंगळी-सीध (2020)
लघुकथा संग्रह : भोर सूं आथण तांई (1989)
बालकथा संग्रह : जादू रो पेन (2012)
संपादित पुस्तकें : मंडाण (51 युवा कवियों की कविताएं), मोहन आलोक री कहाणियां, कन्हैयालाल भाटी री कहाणियां, देवकिशन राजपुरोहित री टाळवीं कहाणियां
अनूदित पुस्तकें : निर्मल वर्मा और ओम गोस्वामी के कहानी संग्रह ; भोलाभाई पटेल का यात्रा-वृतांत ; अमृता प्रीतम का कविता संग्रह ; नंदकिशोर आचार्य, सुधीर सक्सेना और संजीव कुमार की चयनित कविताओं का संचयन-अनुवाद और ‘सबद नाद’ (भारतीय भाषाओं की कविताओं का संग्रह)