घिर घिर चेतै आवूंला म्हैं
लेखक : डॉ. संजीव कुमार
अनुवादक : डॉ. नीरज दइया
प्रकाशक : ज्योति पब्लिकेशंस, बीकानेर
संस्करण : 2018
मूल्य : 150/-
दोनों भाषाओं में दक्ष रचनाकार ही अच्छा अनुवाद कर सकता है। अनुदित रचना को पढ़ते हुए मूल रचना का आस्वाद आए, तब अनुवाद की सफलता है। डॉ. नीरज दइया हिंदी और राजस्थानी दोनों भाषाओं में निष्णात होने से उन के द्वारा अनूदित रचनाओं को पढ़कर पाठक मूल रचना की आत्मा से साक्षात करते हैं। हिंदी के सुपरिचित कवि डॉ. संजीव कुमार के आठ हिंदी कविता संग्रहों से चुनिंदा कविताओं का चयन कर उन्होंने उनका राजस्थानी में मौलिक सदृश्य अनुवाद किया है, इस पुस्तक- ‘घिर घिर चेतै आवूंला म्हैं’ में। इस के माध्यम से राजस्थानी पाठक डॉ. संजीव कुमार के कवि मन से परिचित होंगे।
(दैनिक भास्कर, 18-अक्टूबर-2018, पेज-11)
आभार : श्री मधु आचार्य ‘आशावादी’, श्री बुलाकी शर्मा
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