बीकानेर । राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के शोध अध्ययेता इटली विद्वान डा. एल. पी. तैस्सीतोरी की 96 वीं जयन्ती के अवसर पर सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीटयूट द्वारा राजकीय संग्रहालय परिसर में तैस्सीतोरी प्रतिमा स्थल पर “वर्तमान परिप्रेक्ष्य में तैस्सीतोरी के कार्यो की उपादेयता” पर चर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में हिन्दी राजस्थानी के साहित्यकार मधु आचार्य आशावादी एवं डा. नीरज दइया को “तैस्सीतोरी एवार्ड-2015” अर्पित किया गया।
कार्यक्रम के अध्यक्ष बीकानेर पश्चिम के विधायक डा. गोपाल जोशी ने कहा कि डा. एल. पी. तैस्सीतोरी ने इटली से आकर यहां राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के शोध का कार्य किया, हमें अपनी मायड भाषा पर गर्व होना चाहिये। उन्होंने कहा कि राजस्थानी को संविधान की 8 वीं अनुसची में मान्यता मिलते ही इसका ज्यादा विस्तार होगा। उन्होंने कहा कि पत्रकार मधु आचार्य ‘आशावादी’ जिस रफतार से किताबें लिख रहे हैं उससे लगता कि पुस्तक सृजन का शतक जल्द पूरा करेंगे। उन्होंने कहा कि डा. दइया अच्छे समालोचक हैं जिनकी सोच सामाजिक है। डा. जोशी ने कहा कि आशावादी एवं दइया को डा. तैस्सीतोरी सम्मान मिलना गरिमामय है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थान राज्य अभिलेखागार के निदेशक डा. महेन्द्र खडगावत ने कहा कि डा. एल. पी. तैस्सीतोरी ने 5 वर्ष तक इस क्षेत्र में खोज की उसकी सर्वे रिपोर्ट अभिलेखागार में उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि तैस्सीतोरी ने राजस्थानी गीत भी लिखे। डा. खडगावत ने कहा कि मधुजी और डा. दइया के उर्जावान रचनाकर्म को तैस्सीतोरी की तरह याद रखा जायेगा।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ के प्रेमचन्द गांधी ने कहा कि डा. तैस्सीतोरी ने पश्चिम राजस्थान में शोध कार्य किया, उसके प्रमाण पाकिस्तान के पुस्तकालयों में भी मिलते हैं। विशिष्ट अतिथि चेन्नई प्रवासी जमनादास सेवग ने कहा कि पत्रकार मधुजी और आलोचक नीरजजी को यह एवार्ड मिलना गौरवपूर्ण है।
आरंभ में कार्यक्रम के संयोजक एवं कवि-कहानीकार राजेन्द्र जोशी ने सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीटयूट की गतिविधियों का विस्तार से परिचय देते हुए वर्तमान एवं भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संस्था अध्यक्ष डॉ. गोपाल जोशी एवं सचिव डा. मुरारी शर्मा के द्वारा सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीटयूट की गरिमामय परंपरा को सहेजने का महत्त्वपूर्ण कार्य बहुत गंभीरता से किया जा रहा है। संस्था प्रयासरत है कि पत्रिका का फिर से प्रकाशन आरंभ किया जाए तथा प्राचीन पांडुलियों के संरक्षण की भी व्यापक व्यवस्थाएं की जा रही है। सचिव डा. मुरारी शर्मा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि कोई भी संस्था अपने सतत कार्यों की वजह से पहचान पाती है और जिसकी पहचान पहले से ही बनी हुई हो उसे बनाए रखने का दायित्व संस्था से जुड़े सभी स्वजनों का होता है।
व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि सादुल राजस्थानी इंस्टीटयूट आजादी से पहले से गठित गौरवशाली संस्था है। उन्होंने कहा कि मुझे गत वर्ष तैस्सीतोरी एवार्ड से नवाजा जा चुका है, जिसे मैं अकादमी पुरस्कार से भी ज्यादा महत्वपूर्ण मानता हूं। लेखक अशफाक कादरी ने मधु आचार्य ‘आशावादी’ के कृतित्व एवं उपलब्धियों तथा कवि राजाराम स्वर्णकार ने डा. दइया की सृजन यात्रा पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में अतिथियों ने साहित्यकार मधु आचार्य आशावादी एवं डा. नीरज दइया को शॉल ओढ़ाकर, सम्मानपत्र, स्मृतिचिह्न, पुस्तकें एवं श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया। कार्यक्रम में सखा संगम के चन्द्रशेखर जोशी, खुशल चंद रंगा, बृजगोपाल जोशी द्वारा केसर सम्मान अर्पित किया। सम्मान से अभिभूत मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने कहा कि यह एवार्ड मेरे लिए अकादमी एवार्ड से भी बडा है, क्यों कि इस संस्था का इतिहास बहुत प्राचीन और समृद्ध रहा है। इस संस्था से अनेक मूर्धन्य साहित्यकार जुडे रहे है और उनके कार्यों का राजस्थानी साहित्य एवं परंपरा में उल्लेखनीय स्थान है। डा. नीरज दइया ने कहा कि किसी भी सम्मान से लेखक की सामाजिक स्वीकृति का पता चलता है, साथ ही सम्मान से रचनाकार की अपने समाज के प्रति जिम्मेदारी और जबाबदेही बढ़ जाती है। मैं अपने लेखन द्वारा प्रयास करूंगा कि सम्मान देने वाली संस्था और अपने साहित्यिक समाज के निकषों पर निरंतर खरा बना रह सकूं।
डा. बसन्ती हर्ष ने धन्यवाद ज्ञापित किया तथा संचालन कार्यक्रम के संयोजक राजेन्द्र जोशी ने किया। कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार भवानी शंकर व्यास ‘विनोद’, भंवरलाल ‘भ्रमर’, डा. किरण नाहटा, शमीम बीकानेरी, सरदार अली पडिहार, पत्रकार लूणकरण छाजेड, जब्बार बीकाणवी, मोहनलाल मारू, पार्षद प्रेमरतन जोशो, रामदेव दैया, वरिष्ठ चित्रकार मुरली मनोहर के. माथुर, डा. उषाकिरण सोनी, जयचन्दलाल सोनी, डा. अजय जोशी, हाजी मोहम्मद युनुस जोईया, श्रवण कुमार, सुरेश हिन्दुस्तानी, अनिरूद्ध उमट, नवनीत पांडे, हरीश बी शर्मा, प्रशान्त बिस्सा, इरशाद अजीज, अमित गोस्वामी, असित गोस्वामी, महेन्द्र जैन, राकेश कांतिवाल, संदीप पडिहार, चतरा राम, डा. कल्पना शर्मा, बाबूलाल छंगाणी, चन्द्रशेखर आचार्य, नदीम अहमद ‘नदीम’, कवयित्री मोनिका गौड, वली मोहम्मद गौरी, जाकिर अदीब, इसरार हसन कादरी, शशि शर्मा, डा. नमामी शंकर आचार्य, मईनुदीन कोहरी, आत्माराम भाटी, डा. एस. एन. हर्ष, बुनियाद जहीन, प्रमोद चमोली, शमशाद अली, लक्ष्मण मोदी, योगेन्द्र पुरोहित सहित अनेक गणमान्य नागरिक साहित्य प्रेमी शामिल थे।
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