मात खा गए हैं मियां / नीरज दइया
मियां, तुम जरा भोले हो...
नासमझ हो...
जरा-जरा-सी बात पर
सोचते बहुत हो
जो हुआ सो हुआ
उसे लेकर नहीं बैठते
चलो सब भूल जाओ...
सुना तुमने, क्या कह रहे हैं हम?
तुम्हें पहले भी समझाया था,
अब भी कहते हैं-
मियां, दिल से जुड़ने की जरूरत नहीं
बस ‘हां-हां’ किया करो
कभी ‘हूं-हां’ से चलाया करो काम
हमें नहीं देखते...
हम भी तो यही करते हैं।
सुन रहे हो मियां....?
सुन रहे हो हम क्या फरमा रहे हैं?
मियां, अब कैसे कहे-
मियां को प्रोब्लम है-
बेदिल होना नहीं जानते !
मियां के पास
बहुत कुछ है- कहने-सुनाने को
अब सारी कहानियां दबाए
मियां गुमसुम और उदास है
कुछ सोचते हुए-
‘हां-हां’ और ‘हूं-हां’ की दुनिया में
मात खा गए हैं मियां।
०००
0 टिप्पणियाँ:
Post a Comment