Sunday, May 29, 2011

सात गद्य कवितावां

धीरज
आपां सगळां जाणां- जूंण रो ’ऐंड’ पण तो ई खथावळ नीं करां, जीवां जूण नै जूण री गत । जाणां- छेकड़ में कीं नीं बचैला, सिवाय ओळूं-बिरछ रै ; का फेर बचैला कीं सबद जिका सूं कोई कवि बणावैला- ओळूं-बिरछ ।

म्हैं परखणो नीं चावूं- आप रो धीरज, क्यूं कै म्हैं आगूंच जाणूं- आप रो धीरज है आप मांय ; बिंयां आप सगळी बातां सगळा भेद एक चुटकी में ठाह करणा चावो पण कविता री तीजी ओळी उतावळ ठीक कोनी ।

माफ करजो, आ कविता जूण दांईं फगत दो ओळी री है, जिण मांय सूं एक ओळी म्हैं मांड दीवी अर दूजी ओळी आप नै मिल जावैला ; म्हैं आगूंच कैयो नीं- धीरज है आप मांय । बा ओळी अचेत पड़ी है आपां री ओळूं मांय इण पैली ओळी रै विजोग मांय ।
***

प्रेम
म्हैं करूंला प्रेम, पण प्रगट नीं करूंला । जाणूं कोई नीं रोक सकै प्रेम नै बो जठै-जद चावै प्रगट होवै, प्रगट होवण री सगळी सगती हुवै प्रेम मांय अर बा सगती जे म्हैं लुको सकूं तो सफळ होवैला म्हारो प्रेम ।

म्हैं नीं बता सकूं प्रेम री इकाई, सो म्हैं प्रगट नीं करूंला- म्हारो प्रेम ।
म्हैं कर लियो प्रेम अटकता-भटकता, संकता-संकता क्यूं कै म्हैं नीं चावतो हो प्रेम अर म्हैं आगूंच कर चुक्यो हो प्रेम ।

किणी प्रेम रै माप सूं ई करी जा सकै परख प्रेम री, पण म्हैं नीं चावूं । मोलावणो-तोलावणो हुयां प्रेम री जान निकळ जावै । सो इण नांव बिहूणै प्रेम नै लुको सकूंला तद ई सफळ होवैला प्रेम ।
***

नाटक
आ जूण एक नाटक है, पण म्हैं कलाकार कोनी । फेर इण रंगमंच माथै कांईं हूं म्हैं ? माडाणी मुळकणो, हंसणो अर नकली रोवणो म्हारै बस री बात कोनी । कूड़ सूं चिड़ है म्हनै, घणैमान सूं अरज है कै म्हनै फगत म्हारै हाल मांय मस्त रैवण दो ।

आलोचक बंधु ! सिरजक भाईजी सूं करजो अरज कै कथा मांय गैर-जरूरी किरदार जूण रो स्वाद बिगाड़ै । म्हैं कैवूंला आपां रै सिरजक नै थांरै बारै मांय कै चांकैसर राखै अक्कल थांरी क्यूं कै थानै दाळ में पैल-पोत कांकरो जोवण री कुबाण पड़गी है । जे कदैई कदास थांनै नीं लाधै कांकरो, तो कैवो- पूरी सीझी कोनी दाळ । थे काढो ऐब माथै ऐब- कदैई मिरच-मसालै री कमी नै लेय’र कूको । माफ करजो ! म्हारो कैवणो बस इत्तो ई’ज है कै थे खुद रो स्वाद सगळा माथै मती थोप्या करो ।

म्हैं पलटू म्हारी बात- जद आपां सगळा हां रंगमंच माथै, तो हा सगळा ई पक्का कलाकार, भलाई खुद नै माना का ना माना । आ रचना है एक कविता रै भेख अर म्हैं आपनै किणी रै कैयां सूं नीं, खुद कैय रैयो हूं- कै जद आ जूण है एक नाटक तो आपां बचां खुद रै नाटक सूं ।
***

इंदर-धनुस
इंदर-धनुस जोयां नै बरसां रा बरस बीतग्या । अकाळ अर बिखै री गंगरत टाळ म्हारा कवि, बाकी कीं दाय ई कोनी करै- कविता लिखण खातर । एम. एससी. पास म्हारो मास्टर भायलो कैवै- धूड़ है भणाई-लिखाई नै, आ कांईं काम ई कोनी आवै ।

इंदर-धनुस रै सात रंगां मांय किसो रंग कठै किसी कूंट भरीजैला- गैरो का फीको ? आ तो म्हैं जाणूं ई कोनी । फेर कविता मांय सजावट रै समचै बिना सोच्या-समझ्यां क्यूं आ बिसादी बात टोर दी ! जूण रा रंग भासा सूं होवै अर बा आपां पाखती कोनी,
सो रंग ई कोनी आपां रा कवियां पाखती । आपां बिखै अर काळ री मार माथै मार खावता कविता नै उणी मारग टोर दी- बस सतसई बणावण री हथोटी झाल लीवी । म्हैं म्हारै छोरै नै दे दीवी खुल्ली छूट- बणा थारी मरजी रा फोटूड़ा अर भर उणा मांय दाय आवै जिको रंग... थारी मरजी मुजब ।

इनदर-धनख पेटै छेहली बात, म्हारो छोरो कैवै- ओ म्हारो हाथी हरो है । म्हैं बरजू कोनी । काळो अर धोळो ई नीं लाल-हरो-नीलो अर पीळो भी हो सकै है हाथी, पण बो बेगो ई जाण लेवैला आप री भूल । म्हैं कैवूं म्हारै छोरै नै कै थूं भारत रो झंडो तिरंगो बणावणो सीख लै, अर जिकी भासा थारै रगत रळियोड़ी है उण मांय केसरिया रंग का काळो-धोळो-हरो रंग ना लमूटै । राखजै सावचेती !
***

मूंढै पाटी
म्हैं म्हारै दुख बाबत कीं कैवूं किंयां ? छत्तीस बरसां सूं म्हैं म्हारै मूंढै तो पाटी बांध्योड़ी है । इत्ता बरसां पछै ई म्हांरी गूंगी जात नै थे ओळख नीं सूंपी ।

म्हैं लिखी जिकी बातां, थे बांची कोनी । म्हैं जिको कीं कैवूंला, बो सीधो-सीधो थे समझ नीं सकोला ; क्यूं कै थे म्हारी भासा जाणो ई कोनी अर जाणो ई हो..... तो मानो कोनी, थां नीं मानण री आगूंच धार राखी है । सुणो ! थे नीं मार सको म्हारी भासा नै । बां म्हांरै लोही मांय है अर थे कद तांई पीवोला लोही ?

कवि का इण समाज रै अंस रूप म्हैं करूंला कीं तो जतन । कवि रूप म्हैं म्हारी सांस भेळै गूंथ ली म्हारी भासा, एक सामाजिक इकाई रूप कैवूं आ ओळी एक- आंख मींच कितरा दिन करोला अंधारो ।

म्हारी सांस रै हरेक आंटै मांय अमूझै है भासा । भाईजी ! मूंढै पाटी कोई मा रै पेट सूं कोनी लायो ।
***    

ऊंठ
ओ ऊंठ दांईं सूतो ई रैसी कांई?” जीसा रा बोल उठतां ई उण रै कनां पड्‌या। स्यात्‌ बो खासी ताळ भळै ई सूतो रैवतो, पण अबै बो आंख्यां मसळतो उठग्यो हो। पण जागता थकां ई बो तुरत पाछो नींद में भळै जाय पूग्यो, जठै बीं नै सपनो याद आयो हो।    
         
बो सपनै में देख्यो हो कै बो सचाणी ई ऊंठ बणग्यो है। पण अबखाई आ ही कै बो ऊंठ बण्यां उपरांत ई सोचै हो कै बो कांईं करै। अठी-उठी हांडता-हांडता ई उण नै कोई मारग कोनी लाध्यो, च्यारूंमेर रिंधरोही ही अर उण रै किणी सवाल रो जबाब बठै कठै लाधतो। बिंयां बो घोर अचरज में ई हो कै बो बैठो बैठायो इंयां ऊंठ किंयां बणग्यो। घर अर मा-जीसा री याद ई उण नै आई पण बो जाणै बेबस हो। उठर दो च्यार गडका काढ्यां ई उण नै निरांयत नीं बापरी तो आभै कानीं नाड़ ऊंची करर ठाह करण री कोसीस करी कै नाड़ कित्ती लांबी है। ओ भणाई रो असर हो कै बो नाड़ तुरत ही हेठै कर ली। उण नै भाई रा बोल चेतै आया कै ऊंठ री नसड़ी लांबी हुवै तो कांई बा बाढण तांई हुवै है।
           
जीसा कैवै हा- चमगूंगा, इंयां चमक्योड़ै ऊंठ दांई अठी-उठी कांईं देखै। उठ, देख कित्तो सूरज माथै आयग्यो।" उण नै चेतै आयो कै रात सूवण सूं पैली ई जीसा उण नै झिडकता थकां कैयो हो कै "लड़धा, ऊंठ जित्तो हुयग्यो। अबै कीं काम-धंधो कर्‌या कर।"
***

चालो माजी कोटगेट
बड़ी गवाड़ बीकानेर माथै एक तांगैवाळो हो जिको हरेक चलतै नै बकारतो- चालो माजी कोटगेट।बो काल म्हारै सपनै में आयो। म्हैं बीं नै ओळख लियो कारण कै एक दिन एक रस्तै चालती लुगाई आप री चप्पल काढ़ ली- रे धबिया, म्हैं कांईं थनै माजी दिखूं?” बो दिठाव ही हो जद पछै म्हैं उण तांगै वाळै नै गौर कर्‌यो कै बो हरेक चलतै नै बकारतो- चालो माजी कोटगेट।

सपनो ई क्या चीज हुवै कांईं कांईं नीं दिखाय देवै, बो म्हनै कैयो- भाई जी, बीड़ी पाओ।अर घणै सूतम री बात कै म्हैं ई ठाह नीं क्यूं खुद री चप्पल काढ़ ली अर उण नै कैयो कै- रे धबिया, म्हैं कांईं थनै बीड़ीबाज दिखूं?”

बीं रै गयां पछै म्हैं सपनै मांय विचारतो रैयो कै म्हैं उण री जरा सी फरमाइस माथै इंयां किंयां कैयग्यो। पण अबै कांईं कारी लागै। सपनै में उण पछै म्हैं आसै-पासै दुकानां नै जोवतो खासी आफळ करी कै कदास कोई दुकान लाध जावै। जे दुकान लाध जावै तो म्हैं बीड़ियां रो बंडळ लेयर दौड़तो जावूं अर उण नै पकड़ा देवूं। इत्तै मांय बो ई तांगै वाळो जाणै कठीनै सूं निकळर आयग्यो अर पागल कोटगेट माथै तांगो लिया ऊभो बोलै हो- चालो माजी कोटगेट।
***

  2 comments:

  1. badhai sa..nuve blog ri..
    jorki gadya kavitawan maandi h sa..
    ghana rang aapri kalam ne..

    ReplyDelete
  2. 'Gadya Kavitava' banchi sa. Achi Lagi Khas kar uth, inder danus, mude pathi natak ar prem. apne aeri achi GADYA kavitava saru mari gani gani badhai

    'Krant'

    ReplyDelete

डॉ. नीरज दइया की प्रकाशित पुस्तकें :

हिंदी में-

कविता संग्रह : उचटी हुई नींद (2013), रक्त में घुली हुई भाषा (चयन और भाषांतरण- डॉ. मदन गोपाल लढ़ा) 2020
साक्षात्कर : सृजन-संवाद (2020)
व्यंग्य संग्रह : पंच काका के जेबी बच्चे (2017), टांय-टांय फिस्स (2017)
आलोचना पुस्तकें : बुलाकी शर्मा के सृजन-सरोकार (2017), मधु आचार्य ‘आशावादी’ के सृजन-सरोकार (2017), कागद की कविताई (2018), राजस्थानी साहित्य का समकाल (2020)
संपादित पुस्तकें : आधुनिक लघुकथाएं, राजस्थानी कहानी का वर्तमान, 101 राजस्थानी कहानियां, नन्द जी से हथाई (साक्षात्कार)
अनूदित पुस्तकें : मोहन आलोक का कविता संग्रह ग-गीत और मधु आचार्य ‘आशावादी’ का उपन्यास, रेत में नहाया है मन (राजस्थानी के 51 कवियों की चयनित कविताओं का अनुवाद)
शोध-ग्रंथ : निर्मल वर्मा के कथा साहित्य में आधुनिकता बोध
अंग्रेजी में : Language Fused In Blood (Dr. Neeraj Daiya) Translated by Rajni Chhabra 2018

राजस्थानी में-

कविता संग्रह : साख (1997), देसूंटो (2000), पाछो कुण आसी (2015)
आलोचना पुस्तकें : आलोचना रै आंगणै(2011) , बिना हासलपाई (2014), आंगळी-सीध (2020)
लघुकथा संग्रह : भोर सूं आथण तांई (1989)
बालकथा संग्रह : जादू रो पेन (2012)
संपादित पुस्तकें : मंडाण (51 युवा कवियों की कविताएं), मोहन आलोक री कहाणियां, कन्हैयालाल भाटी री कहाणियां, देवकिशन राजपुरोहित री टाळवीं कहाणियां
अनूदित पुस्तकें : निर्मल वर्मा और ओम गोस्वामी के कहानी संग्रह ; भोलाभाई पटेल का यात्रा-वृतांत ; अमृता प्रीतम का कविता संग्रह ; नंदकिशोर आचार्य, सुधीर सक्सेना और संजीव कुमार की चयनित कविताओं का संचयन-अनुवाद और ‘सबद नाद’ (भारतीय भाषाओं की कविताओं का संग्रह)

नेगचार 48

नेगचार 48
संपादक - नीरज दइया

स्मृति में यह संचयन "नेगचार"

स्मृति में यह संचयन "नेगचार"
श्री सांवर दइया; 10 अक्टूबर,1948 - 30 जुलाई,1992

डॉ. नीरज दइया (1968)
© Dr. Neeraj Daiya. Powered by Blogger.

आंगळी-सीध

आलोचना रै आंगणै

Labels

101 राजस्थानी कहानियां 2011 2020 JIPL 2021 अकादमी पुरस्कार अगनसिनान अंग्रेजी अनुवाद अतिथि संपादक अतुल कनक अनिरुद्ध उमट अनुवाद अनुवाद पुरस्कार अनुश्री राठौड़ अन्नाराम सुदामा अपरंच अब्दुल वहीद 'कमल' अम्बिकादत्त अरविन्द सिंह आशिया अर्जुनदेव चारण आईदान सिंह भाटी आईदानसिंह भाटी आकाशवाणी बीकानेर आत्मकथ्य आपणी भाषा आलेख आलोचना आलोचना रै आंगणै उचटी हुई नींद उचटी हुई नींद. नीरज दइया उड़िया लघुकथा उपन्यास ऊंडै अंधारै कठैई ओम एक्सप्रेस ओम पुरोहित 'कागद' ओळूं री अंवेर कथारंग कन्हैयालाल भाटी कन्हैयालाल भाटी कहाणियां कविता कविता कोश योगदानकर्ता सम्मान 2011 कविता पोस्टर कविता महोत्सव कविता-पाठ कविताएं कहाणी-जातरा कहाणीकार कहानी काव्य-पाठ किताब भेंट कुँअर रवीन्द्र कुंदन माली कुंवर रवीन्द्र कृति ओर कृति-भेंट खारा पानी गणतंत्रता दिवस गद्य कविता गली हसनपुरा गवाड़ गोपाल राजगोपाल घिर घिर चेतै आवूंला म्हैं घोषणा चित्र चीनी कहाणी चेखव की बंदूक छगनलाल व्यास जागती जोत जादू रो पेन जितेन्द्र निर्मोही जै जै राजस्थान डा. नीरज दइया डायरी डेली न्यूज डॉ. अजय जोशी डॉ. तैस्सितोरी जयंती डॉ. नीरज दइया डॉ. राजेश व्यास डॉ. लालित्य ललित डॉ. संजीव कुमार तहलका तेजसिंह जोधा तैस्सीतोरी अवार्ड 2015 थार-सप्तक दिल्ली दिवाली दीनदयाल शर्मा दुनिया इन दिनों दुलाराम सहारण दुलाराम सारण दुष्यंत जोशी दूरदर्शन दूरदर्शन जयपुर देवकिशन राजपुरोहित देवदास रांकावत देशनोक करणी मंदिर दैनिक भास्कर दैनिक हाईलाईन सूरतगढ़ नगर निगम बीकानेर नगर विरासत सम्मान नंद भारद्वाज नन्‍द भारद्वाज नमामीशंकर आचार्य नवनीत पाण्डे नवलेखन नागराज शर्मा नानूराम संस्कर्ता निर्मल वर्मा निवेदिता भावसार निशांत नीरज दइया नेगचार नेगचार पत्रिका पठक पीठ पत्र वाचन पत्र-वाचन पत्रकारिता पुरस्कार पद्मजा शर्मा परख पाछो कुण आसी पाठक पीठ पारस अरोड़ा पुण्यतिथि पुरस्कार पुस्तक समीक्षा पुस्तक-समीक्षा पूरन सरमा पूर्ण शर्मा ‘पूरण’ पोथी परख प्रज्ञालय संस्थान प्रमोद कुमार शर्मा फोटो फ्लैप मैटर बंतळ बलाकी शर्मा बसंती पंवार बातचीत बाल कहानी बाल साहित्य बाल साहित्य पुरस्कार बाल साहित्य समीक्षा बाल साहित्य सम्मेलन बिणजारो बिना हासलपाई बीकानेर अंक बीकानेर उत्सव बीकानेर कला एवं साहित्य उत्सव बुलाकी शर्मा बुलाकीदास "बावरा" भंवरलाल ‘भ्रमर’ भवानीशंकर व्यास ‘विनोद’ भारत स्काउट व गाइड भारतीय कविता प्रसंग भाषण भूमिका मंगत बादल मंडाण मदन गोपाल लढ़ा मदन सैनी मधु आचार्य मधु आचार्य ‘आशावादी’ मनोज कुमार स्वामी मराठी में कविताएं महेन्द्र खड़गावत माणक माणक : जून मीठेस निरमोही मुकेश पोपली मुक्ति मुक्ति संस्था मुरलीधर व्यास ‘राजस्थानी’ मुलाकात मोनिका गौड़ मोहन आलोक मौन से बतकही युगपक्ष युवा कविता रक्त में घुली हुई भाषा रजनी छाबड़ा रजनी मोरवाल रतन जांगिड़ रमेसर गोदारा रवि पुरोहित रवींद्र कुमार यादव राज हीरामन राजकोट राजस्थली राजस्थान पत्रिका राजस्थान सम्राट राजस्थानी राजस्थानी अकादमी बीकनेर राजस्थानी कविता राजस्थानी कविता में लोक राजस्थानी कविताएं राजस्थानी कवितावां राजस्थानी कहाणी राजस्थानी कहानी राजस्थानी भाषा राजस्थानी भाषा का सवाल राजस्थानी युवा लेखक संघ राजस्थानी साहित्यकार राजेंद्र जोशी राजेन्द्र जोशी राजेन्द्र शर्मा रामपालसिंह राजपुरोहित रीना मेनारिया रेत में नहाया है मन लघुकथा लघुकथा-पाठ लालित्य ललित लोक विरासत लोकार्पण लोकार्पण समारोह विचार-विमर्श विजय शंकर आचार्य वेद व्यास व्यंग्य व्यंग्य-यात्रा शंकरसिंह राजपुरोहित शतदल शिक्षक दिवस प्रकाशन श्याम जांगिड़ श्रद्धांजलि-सभा श्रीलाल नथमल जोशी श्रीलाल नथमलजी जोशी संजय पुरोहित संजू श्रीमाली सतीश छिम्पा संतोष अलेक्स संतोष चौधरी सत्यदेव सवितेंद्र सत्यनारायण सत्यनारायण सोनी समाचार समापन समारोह सम्मान सम्मान-पुरस्कार सम्मान-समारोह सरदार अली पडि़हार संवाद सवालों में जिंदगी साक्षात्कार साख अर सीख सांझी विरासत सावण बीकानेर सांवर दइया सांवर दइया जयंति सांवर दइया जयंती सांवर दइया पुण्यतिथि सांवर दैया साहित्य अकादेमी साहित्य अकादेमी पुरस्कार साहित्य सम्मान सीताराम महर्षि सुधीर सक्सेना सूरतगढ़ सृजन कुंज सृजन संवाद सृजन साक्षात्कार हम लोग हरदर्शन सहगल हरिचरण अहरवाल हरीश बी. शर्मा हिंदी अनुवाद हिंदी कविताएं हिंदी कार्यशाला होकर भी नहीं है जो