आलोचना रै आंगणै / नीरज दइया
आलोचना रै आंगणै री विगत
1. आधुनिक कविता रा साठ बरस
2. अर्जुनदेव चारण रै नाटकां में नारी
3. आधुनिक कहाणी : शिल्प अर संवेदना
4. बा जीवैला अर घाड़फाड़ जीवैला
5. नामी कवि री नामी कहाणियां
6. लघुकथा री विकास-जातरा
7. नारी री ओळख नै आथड़ता आखर
8. राजनीति अर नारी जीवण रो बखाण
9. जीवण-जुद्ध जूझती लुगाई-जात
10. एक जुग री राम कहाणी
11. आधुनिकता नै स्वीकारती परंपरागत कथा
12. सारथक सबदां रा साधक सेठिया जी
13. ओ जीवण है, है ज्यूं खिंडियोड़ो सो……
14. प्रेमजी प्रेम री सिरजण-जातरा
15. एक कथाकार री सोनलिया कथा
16. साहित्य दरसाव : बरस 1999
17. शिक्षक दिवस प्रकाशन : एक परख
18. राजस्थानी साहित्य रै गोखै सूं लारला दस बरस
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