Monday, December 30, 2019

डॉ. आईदान सिंह भाटी : साहित्य की शान / डॉ. नीरज दइया

‘आईजी’ के नाम से विख्यात कवि-आलोचक डॉ. आईदान सिंह भाटी एक ऐसा नाम है जो किसी परिचय का मोहताज नहीं है। हाल ही में आपकी राजस्थानी काव्य-कृति ‘आँख हींयै रा हरियल सपना’ को वर्ष 2019 का महाकवि बिहारी के नाम पर दिया जाने वाला के.के. बिड़ला न्यास का पुरस्कार घोषित हुआ है। सम्मानस्वरूप पुरस्कार में प्रशस्ति और ढाई लाख रुपए की राशि भेंट की जाती है। उनकी इस काव्य-कृति को पहले से अनेक सम्मानों से समादृत-पुरस्कृत किया जा चुका है। साहित्य अकादेमी नई दिल्ली का मुख्य पुरस्कार और राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी का सर्वोच्च पुरस्कार इसी कृति के लिए अर्पित किया गया। निसंदेह यह एक उल्लेखनीय कविता-संग्रह है। इसका हिंदी-अनुवाद ‘आँख हृदय के हरियल सपने’ (1996) साहित्य अकादेमी द्वारा प्रकाशित है।
     डॉ. आईदान सिंह भाटी का कृतित्व और व्यक्तित्व ऐसा जादूई है कि जो एक बार रू-ब-रू होता है, उनके जादू से बच नहीं सकता। उन्होंने स्वयं की ही नहीं हिंदी-राजस्थानी के विभिन्न कवियों की सैंकड़ों कविताएं अपने कंठ में ऐसे बसा रखी हैं कि उनकी इस मेधा को हर कोई प्रणाम करता है। वे वाचिक परंपरा के कवि हैं। उनका आधुनिकता बोध उनकी लोकधर्मी प्रतिबद्धता से पोषित होता है। वे आपने पाठकों श्रोताओं के स्मरण में स्थाई निधि के रूप में बसे हुए हैं। उनके रंग-रूप और वेश-भूषा में देशी ठाठ के जलवे देखते ही बनते हैं। एक पंक्ति में कहा जाए तो आईजी ऐसे विरल कवि हैं कि उनका कोई सानी नहीं है। सुप्रसिद्ध आलोचक डॉ. नामवर सिंह का आईजी के विषय में मानना है- ‘लोक भाषाओं के साहित्यकारों का यह दायित्व है कि लोक की आत्मा, लोकभाषा के सार्थक पक्षों को पहचानने और राजनीति की अराजकता के विरुद्ध उसे प्रतिरोध की ताकत के रूप में इस्तेमाल करें। आईदान सिंह भाटी की कविताओं में मुझे लोक भाषा के इसी सार्थक और प्रतिरोधी रूप की झलक मिलती है। वे स्थानिक तथा परंपरा और प्रतिरोध के सौंदर्यबोध के कवि हैं।’
    डॉ. आईदान सिंह भाटी इतने सरल, सहज और सब के आत्मीय रहे हैं कि उन्हें स्वयं से पृथक कर देखना मेरे लिए कठिन है। इसके ठीक विपरीत कभी कभी ऐसा भी लगता है कि वे इतने जटिल, गुंफित और आत्मकेंद्रित रहते हैं कि उनके कवि-मन की थाह पाना संभव नहीं है। वे प्रचलित मानकों और मानदंडों के आधार पर आलोचना के लिए चुनौति है। किसी भी कविता और कवि को जानने के लिए उसमें बहुत गहरे उतरना होता है और आईजी अपनी मुलाकातों में परत-दर-परत खुलते हुए भी बहुत कुछ जैसे अपने भीतर बचाए रखते हैं। उनसे मिलते समय हर बार समय कम पड़ जाता है और बहुत सी बातें बाकी रह जाती हैं। उनसे मिलना और बारबार लगातार मिलना उन्हें पृष्ठ-दर-पृष्ठ जैसे खुलते और खिलते हुए देखना होता है। उनका जन्म 10 दिसम्बर 1952 को जैसलमेर जिले के नोख गांव में हुआ। उन्होंने हिंदी साहित्य में एम. ए. करने के बाद जयनारायन विश्वविद्यालय जोधपुर से प्रो. विमलचंद्र सिंह के निर्देशन में ‘नई कविता के प्रबंध : वस्तु और शिल्प’ विषय पर शोध किया। बाद में वे विभिन्न राजकीय महाविद्यालयों में अध्यापन-कार्य से जुड़े रहे और पूरा जीवन जैसे शिक्षा और साक्षरता को समर्पित कर दिया। उनकी लोकधर्मिता और लोक से गहरा जुड़ाव कविता में संभवतः इसी मार्ग से होता हुआ बढ़ता गया और अब यह जानकर आश्चर्य होगा कि उनका पहला हिंदी कविता संग्रह ‘जलते मरुथल मेम दाझे पांवों से’ (2019) सामने आया है। उनकी हिंदी भी देशी हिंदी है जिसमें राजस्थानी और राजस्थान का जायका भरा रहता है। ऐसा नहीं है कि वे आधुनिक कविता और खासकर हिंदी की कविता के विकास से अनभिज्ञ हों, वे अधिकृत विद्वान हैं और वर्षों तक विद्यार्थियों की हिंदी शुद्ध करते रहे हैं। किंतु उन्हें अपनी हिंदी में मातृभाषा और अपने आस-पास के जीवन से जुड़ी लोकभाषा ही स्वीकार है। विकास के नाम पर बदलते चेहरे और देश के भूगोल के बीच ग्रामीण और शहरी जगत में अब भी एक बड़ा तबका ऐसा है, जो यह सब पचा नहीं सका है। उसका देशज स्वरूप आईजी की कविता में शब्द-दर-शब्द अंकित होता चला गया है। दिखावे और नकली चेहरों के बीच एक असली चेहरा यानी भीड़ में एक अलग चेहरा है आईजी। राजस्थान की मिट्टी की सौंधी सौंधी महक लिए हुए उनकी हिंदी कविताएं मंचों पर चर्चित रही हैं। वे देश के विभिन्न शहरों में आयोजित कवि-सम्मेलनों में अपनी लोकरंग की तुकांत और अतुकांत कविताओं के लिए प्रमुखता से याद किए और बुलाए जाते हैं। उनकी कविताओं में आधुनिकता के साथ परंपरा का समिश्रण आकर्षित करता है। वे नाद-सौंदर्य के नित्य नए प्रयोग करते हुए आधुनिक काव्य-धारा में परंपरा के निजता के आस्वाद के विशिष्ट कवि हैं।
    राजस्थानी वाचिक परंपरा के अग्रणी कवि आईजी का पहला राजस्थानी कविता संग्रह ‘हंसतोड़ा होठां रा साच’ (1987) बेहद चर्चित रहा, इसका दूसरा संस्करण 2014 में प्रकाशित हुआ है। पुरस्कृत राजस्थानी कविता-संग्रह के अलावा ‘रात कसूंबल’ (1997), ‘खोल पांख नै खोल चिड़कली’ (2014) संग्रह प्रकाशित हैं। वे कवि के साथ-साथ वे सफल अनुवाद के रूप में भी पर्याप्त चर्चित रहे हैं। उनके द्वारा गांधीजी की आत्मकथा का राजस्थानी में अनुपम अनुवाद किया गया है। जिसको साहित्य अकादेमी नई दिल्ली ने अनुवाद पुरस्कार से सम्मानित भी किया। उनकी दो अन्य अनूदित कृतियां- ‘गैंडो’ (राईनासोर्स) और ‘रवीन्द्रनाथ री कवितावां’ भी साहित्य अकादेमी से प्रकाशित हुई है।     राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर की मासिक पत्रिका ‘जागती जोत’ के कुछ अंकों और ‘डॉ. नारायणसिंह भाटी की सुप्रसिद्ध कविताएं’ कृति का संपादन भी उन्होंने किया है। वे मूल में स्वयं को राजस्थानी लेखक-कवि कहलाना पसंद करते हैं किंतु मित्रों के आग्रह और अपनी पसंद से अनेक कृतियों की समीक्षाएं भी लिखी है। उनके आलोचनात्मक निबंधों और समीक्षाओं को उनकी कृति ‘समकालीन साहित्य और आलोचना’ (2012) में देखा जा सकता है। इसी भांति ‘राजस्थान की सांस्कृतिक कथाएं’ (2016), ‘थार की गौरव कथाएं’ (2017) और ऐतिहासिक उपन्यास ‘शौर्य पथ’ (2013) उनकी सांस्कृतिक दृष्टि से पगी कृतियां हैं। यह आलेख उस विराट कवि की दिशा में एक संकेत है। मेरी साध है कि उन पर एक कृति लिख सकूं। राजस्थान और राजस्थानी का पर्याय बन चुके डॉ. आईदान सिंह भाटी को बिहार पुरस्कार घोषित होना स्वयं पुरस्कार का सम्मानित होना है। आईजी राजस्थानी ही भारतीय साहित्य की शान बढ़ाने वाले कवि हैं।
"दुनिया इन दिनों" (प्रधान संपादक : डॉ. सुधीर सक्सेना) जनवरी-2020 अंक में
 

0 टिप्पणियाँ:

Post a Comment

डॉ. नीरज दइया की प्रकाशित पुस्तकें :

हिंदी में-

कविता संग्रह : उचटी हुई नींद (2013), रक्त में घुली हुई भाषा (चयन और भाषांतरण- डॉ. मदन गोपाल लढ़ा) 2020
साक्षात्कर : सृजन-संवाद (2020)
व्यंग्य संग्रह : पंच काका के जेबी बच्चे (2017), टांय-टांय फिस्स (2017)
आलोचना पुस्तकें : बुलाकी शर्मा के सृजन-सरोकार (2017), मधु आचार्य ‘आशावादी’ के सृजन-सरोकार (2017), कागद की कविताई (2018), राजस्थानी साहित्य का समकाल (2020)
संपादित पुस्तकें : आधुनिक लघुकथाएं, राजस्थानी कहानी का वर्तमान, 101 राजस्थानी कहानियां, नन्द जी से हथाई (साक्षात्कार)
अनूदित पुस्तकें : मोहन आलोक का कविता संग्रह ग-गीत और मधु आचार्य ‘आशावादी’ का उपन्यास, रेत में नहाया है मन (राजस्थानी के 51 कवियों की चयनित कविताओं का अनुवाद)
शोध-ग्रंथ : निर्मल वर्मा के कथा साहित्य में आधुनिकता बोध
अंग्रेजी में : Language Fused In Blood (Dr. Neeraj Daiya) Translated by Rajni Chhabra 2018

राजस्थानी में-

कविता संग्रह : साख (1997), देसूंटो (2000), पाछो कुण आसी (2015)
आलोचना पुस्तकें : आलोचना रै आंगणै(2011) , बिना हासलपाई (2014), आंगळी-सीध (2020)
लघुकथा संग्रह : भोर सूं आथण तांई (1989)
बालकथा संग्रह : जादू रो पेन (2012)
संपादित पुस्तकें : मंडाण (51 युवा कवियों की कविताएं), मोहन आलोक री कहाणियां, कन्हैयालाल भाटी री कहाणियां, देवकिशन राजपुरोहित री टाळवीं कहाणियां
अनूदित पुस्तकें : निर्मल वर्मा और ओम गोस्वामी के कहानी संग्रह ; भोलाभाई पटेल का यात्रा-वृतांत ; अमृता प्रीतम का कविता संग्रह ; नंदकिशोर आचार्य, सुधीर सक्सेना और संजीव कुमार की चयनित कविताओं का संचयन-अनुवाद और ‘सबद नाद’ (भारतीय भाषाओं की कविताओं का संग्रह)

नेगचार 48

नेगचार 48
संपादक - नीरज दइया

स्मृति में यह संचयन "नेगचार"

स्मृति में यह संचयन "नेगचार"
श्री सांवर दइया; 10 अक्टूबर,1948 - 30 जुलाई,1992

डॉ. नीरज दइया (1968)
© Dr. Neeraj Daiya. Powered by Blogger.

आंगळी-सीध

आलोचना रै आंगणै

Labels

101 राजस्थानी कहानियां 2011 2020 JIPL 2021 अकादमी पुरस्कार अगनसिनान अंग्रेजी अनुवाद अतिथि संपादक अतुल कनक अनिरुद्ध उमट अनुवाद अनुवाद पुरस्कार अनुश्री राठौड़ अन्नाराम सुदामा अपरंच अब्दुल वहीद 'कमल' अम्बिकादत्त अरविन्द सिंह आशिया अर्जुनदेव चारण आईदान सिंह भाटी आईदानसिंह भाटी आकाशवाणी बीकानेर आत्मकथ्य आपणी भाषा आलेख आलोचना आलोचना रै आंगणै उचटी हुई नींद उचटी हुई नींद. नीरज दइया उड़िया लघुकथा उपन्यास ऊंडै अंधारै कठैई ओम एक्सप्रेस ओम पुरोहित 'कागद' ओळूं री अंवेर कथारंग कन्हैयालाल भाटी कन्हैयालाल भाटी कहाणियां कविता कविता कोश योगदानकर्ता सम्मान 2011 कविता पोस्टर कविता महोत्सव कविता-पाठ कविताएं कहाणी-जातरा कहाणीकार कहानी काव्य-पाठ किताब भेंट कुँअर रवीन्द्र कुंदन माली कुंवर रवीन्द्र कृति ओर कृति-भेंट खारा पानी गणतंत्रता दिवस गद्य कविता गली हसनपुरा गवाड़ गोपाल राजगोपाल घिर घिर चेतै आवूंला म्हैं घोषणा चित्र चीनी कहाणी चेखव की बंदूक छगनलाल व्यास जागती जोत जादू रो पेन जितेन्द्र निर्मोही जै जै राजस्थान डा. नीरज दइया डायरी डेली न्यूज डॉ. अजय जोशी डॉ. तैस्सितोरी जयंती डॉ. नीरज दइया डॉ. राजेश व्यास डॉ. लालित्य ललित डॉ. संजीव कुमार तहलका तेजसिंह जोधा तैस्सीतोरी अवार्ड 2015 थार-सप्तक दिल्ली दिवाली दीनदयाल शर्मा दुनिया इन दिनों दुलाराम सहारण दुलाराम सारण दुष्यंत जोशी दूरदर्शन दूरदर्शन जयपुर देवकिशन राजपुरोहित देवदास रांकावत देशनोक करणी मंदिर दैनिक भास्कर दैनिक हाईलाईन सूरतगढ़ नगर निगम बीकानेर नगर विरासत सम्मान नंद भारद्वाज नन्‍द भारद्वाज नमामीशंकर आचार्य नवनीत पाण्डे नवलेखन नागराज शर्मा नानूराम संस्कर्ता निर्मल वर्मा निवेदिता भावसार निशांत नीरज दइया नेगचार नेगचार पत्रिका पठक पीठ पत्र वाचन पत्र-वाचन पत्रकारिता पुरस्कार पद्मजा शर्मा परख पाछो कुण आसी पाठक पीठ पारस अरोड़ा पुण्यतिथि पुरस्कार पुस्तक समीक्षा पुस्तक-समीक्षा पूरन सरमा पूर्ण शर्मा ‘पूरण’ पोथी परख प्रज्ञालय संस्थान प्रमोद कुमार शर्मा फोटो फ्लैप मैटर बंतळ बलाकी शर्मा बसंती पंवार बातचीत बाल कहानी बाल साहित्य बाल साहित्य पुरस्कार बाल साहित्य समीक्षा बाल साहित्य सम्मेलन बिणजारो बिना हासलपाई बीकानेर अंक बीकानेर उत्सव बीकानेर कला एवं साहित्य उत्सव बुलाकी शर्मा बुलाकीदास "बावरा" भंवरलाल ‘भ्रमर’ भवानीशंकर व्यास ‘विनोद’ भारत स्काउट व गाइड भारतीय कविता प्रसंग भाषण भूमिका मंगत बादल मंडाण मदन गोपाल लढ़ा मदन सैनी मधु आचार्य मधु आचार्य ‘आशावादी’ मनोज कुमार स्वामी मराठी में कविताएं महेन्द्र खड़गावत माणक माणक : जून मीठेस निरमोही मुकेश पोपली मुक्ति मुक्ति संस्था मुरलीधर व्यास ‘राजस्थानी’ मुलाकात मोनिका गौड़ मोहन आलोक मौन से बतकही युगपक्ष युवा कविता रक्त में घुली हुई भाषा रजनी छाबड़ा रजनी मोरवाल रतन जांगिड़ रमेसर गोदारा रवि पुरोहित रवींद्र कुमार यादव राज हीरामन राजकोट राजस्थली राजस्थान पत्रिका राजस्थान सम्राट राजस्थानी राजस्थानी अकादमी बीकनेर राजस्थानी कविता राजस्थानी कविता में लोक राजस्थानी कविताएं राजस्थानी कवितावां राजस्थानी कहाणी राजस्थानी कहानी राजस्थानी भाषा राजस्थानी भाषा का सवाल राजस्थानी युवा लेखक संघ राजस्थानी साहित्यकार राजेंद्र जोशी राजेन्द्र जोशी राजेन्द्र शर्मा रामपालसिंह राजपुरोहित रीना मेनारिया रेत में नहाया है मन लघुकथा लघुकथा-पाठ लालित्य ललित लोक विरासत लोकार्पण लोकार्पण समारोह विचार-विमर्श विजय शंकर आचार्य वेद व्यास व्यंग्य व्यंग्य-यात्रा शंकरसिंह राजपुरोहित शतदल शिक्षक दिवस प्रकाशन श्याम जांगिड़ श्रद्धांजलि-सभा श्रीलाल नथमल जोशी श्रीलाल नथमलजी जोशी संजय पुरोहित संजू श्रीमाली सतीश छिम्पा संतोष अलेक्स संतोष चौधरी सत्यदेव सवितेंद्र सत्यनारायण सत्यनारायण सोनी समाचार समापन समारोह सम्मान सम्मान-पुरस्कार सम्मान-समारोह सरदार अली पडि़हार संवाद सवालों में जिंदगी साक्षात्कार साख अर सीख सांझी विरासत सावण बीकानेर सांवर दइया सांवर दइया जयंति सांवर दइया जयंती सांवर दइया पुण्यतिथि सांवर दैया साहित्य अकादेमी साहित्य अकादेमी पुरस्कार साहित्य सम्मान सीताराम महर्षि सुधीर सक्सेना सूरतगढ़ सृजन कुंज सृजन संवाद सृजन साक्षात्कार हम लोग हरदर्शन सहगल हरिचरण अहरवाल हरीश बी. शर्मा हिंदी अनुवाद हिंदी कविताएं हिंदी कार्यशाला होकर भी नहीं है जो