माटी जूण उपन्यास रो लोकार्पण
10/04/2002 |
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रिश्तेआप कहते हो- हमें नाकारा -नालायक काम के नहीं किसी भी मगर हम, जब भी पुकारोगे होंगे हाजिर जैसे भी हैं दूजे कहाँ से आएँगे? कहाँ से लाओगे? ले भी आए त… Read More
डॉ. नीरज दइया की आलोचना-दृष्टि और सृष्टि भवानीशंकर व्यास ‘विनोद’ आलोचना बौद्धिक प्रकृति का साहित्यिक-सांस्कृतिक कर्म है अतः आलोचक का नैतिक दायित्व बनता है कि वह किसी कृति की विषद व… Read More
“पाछो कुण आसी” लोकार्पण-समारोह कवि-कथाकार स्व. सांवर दइया की जयंती पर “पाछो कुण आसी” का लोकार्पण ========================================================= नीरज की कविता… Read More
आसावादी सुर, नाटकीय बंतळ अर बेजोड़ पात्र नै रंग आंख्यां मांय सुपनो (कहाणी संग्रै), आडा-तिरछा लोग (उपन्यास) रै लोकार्पण-समारोह रो पत्र-वाचन डॉ. नीरज दइया राजस्थ… Read More
RAJASTHANI SAHITYA MEN APNI SRIJAN PRATIBHA SE YOGDAN KARNE KE LIYE BAHUT-BAHUT BADHAI...
ReplyDeleteYOGENDRA KUMAR
CHANDRAPURA BOKARO JHARKHAND