Tuesday, February 10, 2015

पत्रिका “अपरंच” के “बीकानेर-अंक” का लोकार्पण


          जोधपुर से प्रकाशित होने वाली राजस्थानी भाषा और साहित्य की त्रैमासिक पत्रिका अपरंचके बीकानेर-अंकका लोकार्पण सोमवार को प्रख्यात राजस्थानी कथाकार एवं मरवण के पूर्वसंपादक भंवर लाल भ्रमरने ढोला मारू होटल में किया। मुक्ति संस्थान द्वारा आयोजित इस कार्यक्रममेंअपने उद्बोधन में भ्रमर ने कहा कि राजस्थानी साहित्यिक पत्रकारिता आज पहले से बहुत बेहतर स्थिति में नजर आती है, जहां पहले दो-तीन पत्रिकाएं निकलती थी वहीं आज अनेक पत्रिकाएं निकल रही है और इनमें अपरंच त्रैमासिकी का अपना अलग महत्त्व है। उन्होंने बीकानेर अंक पर खुशी जाहिर करते हुए इस अंक के संपादक डॉ. नीरज दइया की साहित्यिक-पत्रकारिता के क्षेत्र में की गई सेवाओं में नेगचार पत्रिका का स्मरण करते हुए भूरी भूरी प्रशंसा की।
                कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि व्यंग्यकार-कथाकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि अपरंच के प्रधान संपादक वरिष्ठ कवि पारस अरोड़ा के निर्देशन में प्रकाशित इस पत्रिका ने अपना अलग मुकाम बनाया है। अपने अनेक स्तंभों और चयनित श्रेष्ठ रचनाओं के कारण अपरंच के हरेक अंक की प्रतीक्षा रहती है कि देखें इस बार क्या प्रकाशित हुआ है। शर्मा ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि डॉ. दइया द्वारा संपादित बीकानेर अंक भी अपनी रचनात्मकता के कारण चर्चित रहेगा।
          वरिष्ठ रंगकर्मी मधु आचार्य “आशावादी” ने अपनेअध्यक्षीय उद्बोधानमें कहा किकिसी भी पत्रिका के लिए अपने स्तर को बनाए रखने का कार्य उसमें चयनित रचनाकारों पर निर्भर करता है और मुझे खुशी है कि हमारे सक्रिय आलोचक-कवि डॉ नीरज दइया द्वार तैयार बीकानेर-अंक द्वारा पत्रिका अपने नए कलेवर को प्रगट कर रही है।
                अपरंच के "बीकानेर अंक" के संपादक आलोचक-कवि डॉ. नीरज दइया ने कहा कि इस अंक में गागर में सागर समाहित करने का प्रयास किया है, यह केवल बीकानेर के साहित्यिक परिदृश्य की बानगी मात्र है। उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि आलोचनात्मक नजरिये से बीकानेर का स्थान सर्वोच्च है और इस अंक के संपादन के दौरान इस मान्यता को बल मिला है। उन्होंने कहा कि किसी लघु-पत्रिका के लिए यह संभव नहीं हो सकता कि बीकानेर की व्यापक और विविधवर्णी संपूर्ण साहित्यिक छवि को अपनी संपूर्ण रचनात्मकता के साथ सहेज कर प्रस्तुत कर सकें, यह अंक केवल प्रस्थान-बिंदु है जहां से हमें इस दिशा में आगे बढ़ना है।
          मुक्ति के सचिव कवि-कथाकार राजेंद्र जोशी ने कहा कि बीकानेर अंक में राजस्थानी साहित्य की सभी पीढियों के रचनाकारों की विविध विधाओं की रचनाएं इस बात का प्रमाण है कि बीकानेर का साहित्यिक परिदृश्य बेहद गरिमामय एव विशिष्ट है। उन्होंने कहा कि इस अंक की रचनाएं आधुनिक राजस्थानी राजस्थानी को समृद्ध करेगी। युवा कवि-नाटककार हरीश बी. शर्मा ने कहा कि अपरंच की अनेक विशेषताओं में इस पत्रिका के प्रधान संपादक पारस अरोड़ा की संपादकीय दृष्टि, प्रस्तुति और संयोजन को लेकर जब भी साहित्यिक पत्रिकारिता के अवदान की चर्चा होगी इसे रेखांकित किया जाएगा। कार्यक्रम में कवि-कहानीकार नवनीत पाण्डे ने कहा कि राजस्थानी में नाटकों का लेखन बहुत कम हो रहा है और अपरंच ने इस कमी को पूरा करने की दिशा में संपूर्ण नाटक प्रकाशित कर महत्त्वपूर्ण कार्य किया है।कार्यक्रम में युवा कवि जगदीश सोनी, मनोज व्यास, श्रवण कुमार आदि ने अपने विचार प्रकट किए।जोधपुर से आए अपरंच के संपादक युवा कवि गौतम अरोड़ाने आगंतुक साहित्यकारों का स्वागत किया, अंत में हिंगलाजदान रतनू ने आभार ज्ञापित किया।
-राजेंद्र जोशी,
सचिव मुक्ति, बीकानेर

               


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डॉ. नीरज दइया की प्रकाशित पुस्तकें :

हिंदी में-

कविता संग्रह : उचटी हुई नींद (2013), रक्त में घुली हुई भाषा (चयन और भाषांतरण- डॉ. मदन गोपाल लढ़ा) 2020
साक्षात्कर : सृजन-संवाद (2020)
व्यंग्य संग्रह : पंच काका के जेबी बच्चे (2017), टांय-टांय फिस्स (2017)
आलोचना पुस्तकें : बुलाकी शर्मा के सृजन-सरोकार (2017), मधु आचार्य ‘आशावादी’ के सृजन-सरोकार (2017), कागद की कविताई (2018), राजस्थानी साहित्य का समकाल (2020)
संपादित पुस्तकें : आधुनिक लघुकथाएं, राजस्थानी कहानी का वर्तमान, 101 राजस्थानी कहानियां, नन्द जी से हथाई (साक्षात्कार)
अनूदित पुस्तकें : मोहन आलोक का कविता संग्रह ग-गीत और मधु आचार्य ‘आशावादी’ का उपन्यास, रेत में नहाया है मन (राजस्थानी के 51 कवियों की चयनित कविताओं का अनुवाद)
शोध-ग्रंथ : निर्मल वर्मा के कथा साहित्य में आधुनिकता बोध
अंग्रेजी में : Language Fused In Blood (Dr. Neeraj Daiya) Translated by Rajni Chhabra 2018

राजस्थानी में-

कविता संग्रह : साख (1997), देसूंटो (2000), पाछो कुण आसी (2015)
आलोचना पुस्तकें : आलोचना रै आंगणै(2011) , बिना हासलपाई (2014), आंगळी-सीध (2020)
लघुकथा संग्रह : भोर सूं आथण तांई (1989)
बालकथा संग्रह : जादू रो पेन (2012)
संपादित पुस्तकें : मंडाण (51 युवा कवियों की कविताएं), मोहन आलोक री कहाणियां, कन्हैयालाल भाटी री कहाणियां, देवकिशन राजपुरोहित री टाळवीं कहाणियां
अनूदित पुस्तकें : निर्मल वर्मा और ओम गोस्वामी के कहानी संग्रह ; भोलाभाई पटेल का यात्रा-वृतांत ; अमृता प्रीतम का कविता संग्रह ; नंदकिशोर आचार्य, सुधीर सक्सेना और संजीव कुमार की चयनित कविताओं का संचयन-अनुवाद और ‘सबद नाद’ (भारतीय भाषाओं की कविताओं का संग्रह)

नेगचार 48

नेगचार 48
संपादक - नीरज दइया

स्मृति में यह संचयन "नेगचार"

स्मृति में यह संचयन "नेगचार"
श्री सांवर दइया; 10 अक्टूबर,1948 - 30 जुलाई,1992

डॉ. नीरज दइया (1968)
© Dr. Neeraj Daiya. Powered by Blogger.

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