Sunday, September 14, 2014

पुरस्कृत पोथी : जादू रो पेन बाल कहाणियां रो संगै

वडै सरोकारां री बाल-कहांणियां : जादू रौ पेन / मीठेस निरमोही

नीरज दइया राजस्थांनी रै मोट्यार लिखारां में अेक मौजू ओळख अर हैसियत राखणिया लेखक है। इतरौ ई नीं उळथणहार (अनुवादक) अर संपादक रै रूप में ई वांरी गैरी पेठ मांनीजै।
           “जादू रौ पेन” वां रौ पैलौ बाळ कहांणी संग्रै व्हैता थकां ईं केई खूबियां रै पेटै रचनाऊ ओप अर आब लियोड़ौ है। इण सूं पैली वां रौ अेक लघुकथा संग्रै- “भोर सूं आथण तांईं”,दो कविता संग्रै- “साख” अर “देसूंटो”, अेक आलोचना पोथी “आलोचना रै आंगणै”पांच भारतीय भासा-साहित्य अनुवाद री अर दो संपादित पोथियां ई छपियोड़ी है। 
          “जादू रौ पेन” में जुदा-जुदा रोचक अर प्रेरक कथानकां सूं गूंथीजियोड़ी ग्यारा बाळ कहांणियां चित्रांमां रै सैजोड़ै छपियोड़ी है। बाळकां रै घर-परिवार-समाज अर स्कूली जीवण सूं जुड़ी नैनी-मोटी बातां अर घटणा-प्रसंगां नै लेयर लिखीजी अै कहांणियां बेसक ई बाळमन री संवेदणा नै गैराई में जायर परस करै। आं कहांणियां रौ परिवेस अेकदम नुंवौ अर आधुनिक है। इण सूं ई वडी बात आ है के इण कहांणियां री धूरी में बाळक है। खासकर स्कूली बाळक। कहांणीकार डॉ. नीरज दइया खुद आप मास्टर हैसो वै बाळकां रै मनोविग्यांन नै कोरौ-मोरौ जांणै ई नींछतापण उणरी सबळी अर सांवठी ओळखांण ई राखै। अर इणरौ बखूबी प्रयोग आं कहांणियां में होयौ है। 
          “जादू रौ पेन” संग्रै री कहांणियां में बाळजीवण रै परिवेस अर उणसूं जुड़ियोड़ै जुदा-जुदा पखां अर क्लास, सहपाठी, मास्टर, स्कूल, खेल, मां-बाप, नातै-रिस्तैदारबाळक अर उणरी भूमिका इत्याद विसयां, सवालां अर आं माथै असर करणियै ततबां नै वडै मनोयोग सूं माळा रै मणियां री गळाई तार-तार पोया है। अर उतरी ई गैराई में जायर बाळकां रै मन री कंवळास, निछळता अर संवेदना रौ ई सैंपूरणता सूं चित्रण करियौ है। तौ कथा पात्रां रै मन री घाण-मथांण नै ई न्यारै-न्यारै रूपां में सांम्ही लायर कथाकार    बाळजीवण री परिस्थितिजन अबखायां रौ मनोवैग्यांनिक स्तर माथै समाधान ई करियौ है । अै कथा-पात्र वडा ई विस्वासू हैजांणै अैड़ौ लागै जिकौ कहांणी में हौ रैयौ है वौ जीवन में भेरूं ई कठैई घट रैयौ है । अै कहांणियां अेकण कांनी बाळकां रै मन-मगज नै मथती थकी वांनै चारित्रिक बदळाव सारू प्रेरित करै तौ दूजै ई कांनी वां रै मनां री पड़ता नै उघाड़ती  थकी वां रै तूटतै आतम-विसास अर विवेक नै बणायौ राखण रा जतन ई करै । साथै ई ओ सोच, आ चेतणा अर चिंतण के वां रौ हित किण में है अर किण में नीं है जगायर ई महताऊ भूमिका निभावै।
संग्रै री अै कहांणियां कोरी-मोरी उत्सुकता (बेचैनी) बधावण वाळी इज नीं हैछतापण आं रा सरोकार ई बौत वडा लागै। कहांणियां बाळकां नै मेणत अर लगन सूं पढण सारू प्रेरित करै तौ कुसंगत अर दुराचरण सूं मुगती दिरायर वांनै रचनात्मकता सूं जोड़ै । रोज रौ काम रोज करण री सीख देवै तौ गैस पेपरां रै छळावां सूं मुगती दिरायर नकल करण अर करावण रे पाप सूं बचावती थकी बाळकां नै आपरी समझ रै बूतै स्कूली कांम नै टेमसर पूरौ करण री प्रेरणा ई देवै। तौ उण मास्टरां रै सांतरा  भचीड़ मारै जिका तनख्वाह रै रूप में मोटी रकम हासिल करियां उपरांत ई बाळकां नै पढावण में कोताई बरते अर परीक्सा रै दिनां में गैस पेपर बांटर आपरै दायित्वां री इतिस्री कर लेवै। अेडै़ उण तमांम बाळकां नै जिकौ नांव अर इनांम रै खातिर स्कूली मैग्जीनां में दूजां री के चोरी री रचनावां आपरै नांव सूं छपावै के इण री चावना राखै, वां नै मनोवैग्यांनिक रूप सूं प्रोत्साहित अर प्रेरित कर मौलिक सिरजण करण सीख ई देवै। अेडै़ सगळा ई बालकां नै जिका आपरै मां-बाप रै डर सूं भली-भूंडी बातां लुकायनै आगै होयर खतरां नै न्यूंतै, वां नै आपातकाळ में वडी हुंसियारी रै साथै भूमिका निभावण री अर खेल ई खेल में अकारण ई ठोकीजण अर बदळै री भावना पालण वाळै बाळकां नै खेल री भावना सूं  खेल खेलर आपसरी में मिंतराई अर सदभाव सूं रैवण री सीख देवै। इण सूं ई वडी बात आ है के अै सगळी ई कहांणियां बाळकां नै आपरी गळतियां रौ अैसास करायर वांनै कोरा चिंतन अर मनन सारू ई प्रेरित नीं करै, छतापण वां नै सुधरण रौ गेलौ ई बतावै । 
इण तरै चरित्र निरमांण में ई खास भूमिका निभावती अै कहांणियां बाळकां में विवेक, आतम-बळआतम-विसास अर संकळप-सगती नै जगायर वां नै मैणतलगनईमांनदारी,नैतिकतासदाचारनरमाई, सच्चाई, सदभावमिंतराई अर मेळ-मिळाप जैड़ा जीवण मोलां सू जोड़ै। तौ वां नै संवेदणसीळसतगुणी अनै मांनवी ई बणावै। इतरौ ई नीं हिम्मत अर हूंस बधायर वां नै आपरै मकसदां नै पूरण सारू तैयार ई करै।
  कहांणियां रै कथ, भासा, सिल्प अर सैली री बात करां तौ सैज ई कह्यौ जा सकै के डॉ. नीरज दइया कनै अनुभवां रौ कथ रूपी अखूट खजांनौ है तौ कहांणियां सिरजण री आंट अर गत गसक ई गजब री है। भासा माथै ई वां रौ अद्भुत धणियाप है। कहांणियां री भासा रळ्यावणी अर बाळकां रै ठेठ हीयै ढूकै जैड़ी है। आपरै रचाव में कथ्य री आधुनिकता अर मौलिकताभासाई रळकाव रै सागै कविता री सघनता अर मितव्यता अनै चित्रोपमता री ओप अर आब लियां “जादू रौ पेन” री अै कहांणियां निस्चै ई राजस्थांनी बाल-साहित्य री साख नै सवाई करै ।
अेक भेर खासियत-
इण संग्रै री सिरजणा में राजस्थांनी भासा री अेकरूपता पकायत ई थूथकौ न्हाकै जैड़ी है।    

-मीठेस निरमोही
राजोला हाउस, भंवराणी हवेली परिसरउम्मेद चौकजोधपुर (राज.)

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पुस्तक : जादू रो पेन, लेखक : डॉ.नीरज दइया, विधा : बाल कहानियां, भासा : राजस्थानी, प्रथम संस्कण : 2012, मूल्य : 50 रुपए, पृष्ठ : 56, प्रकाशक : शशि प्रकाशन मन्दिर, सादाणियों की गली, मोहता चौक, बीकानेर-334005
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डॉ. नीरज दइया की प्रकाशित पुस्तकें :

हिंदी में-

कविता संग्रह : उचटी हुई नींद (2013), रक्त में घुली हुई भाषा (चयन और भाषांतरण- डॉ. मदन गोपाल लढ़ा) 2020
साक्षात्कर : सृजन-संवाद (2020)
व्यंग्य संग्रह : पंच काका के जेबी बच्चे (2017), टांय-टांय फिस्स (2017)
आलोचना पुस्तकें : बुलाकी शर्मा के सृजन-सरोकार (2017), मधु आचार्य ‘आशावादी’ के सृजन-सरोकार (2017), कागद की कविताई (2018), राजस्थानी साहित्य का समकाल (2020)
संपादित पुस्तकें : आधुनिक लघुकथाएं, राजस्थानी कहानी का वर्तमान, 101 राजस्थानी कहानियां, नन्द जी से हथाई (साक्षात्कार)
अनूदित पुस्तकें : मोहन आलोक का कविता संग्रह ग-गीत और मधु आचार्य ‘आशावादी’ का उपन्यास, रेत में नहाया है मन (राजस्थानी के 51 कवियों की चयनित कविताओं का अनुवाद)
शोध-ग्रंथ : निर्मल वर्मा के कथा साहित्य में आधुनिकता बोध
अंग्रेजी में : Language Fused In Blood (Dr. Neeraj Daiya) Translated by Rajni Chhabra 2018

राजस्थानी में-

कविता संग्रह : साख (1997), देसूंटो (2000), पाछो कुण आसी (2015)
आलोचना पुस्तकें : आलोचना रै आंगणै(2011) , बिना हासलपाई (2014), आंगळी-सीध (2020)
लघुकथा संग्रह : भोर सूं आथण तांई (1989)
बालकथा संग्रह : जादू रो पेन (2012)
संपादित पुस्तकें : मंडाण (51 युवा कवियों की कविताएं), मोहन आलोक री कहाणियां, कन्हैयालाल भाटी री कहाणियां, देवकिशन राजपुरोहित री टाळवीं कहाणियां
अनूदित पुस्तकें : निर्मल वर्मा और ओम गोस्वामी के कहानी संग्रह ; भोलाभाई पटेल का यात्रा-वृतांत ; अमृता प्रीतम का कविता संग्रह ; नंदकिशोर आचार्य, सुधीर सक्सेना और संजीव कुमार की चयनित कविताओं का संचयन-अनुवाद और ‘सबद नाद’ (भारतीय भाषाओं की कविताओं का संग्रह)

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स्मृति में यह संचयन "नेगचार"

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