अकादेमी पुरस्कार के बाद सम्मान
व्यक्ति और समाज को संस्कारित करता है साहित्य
राजूराम बिजारणियां ने अपनी कविताओं में इस धरती के अनेक मनोहर चित्र प्रस्तुत किए है। यह बात रचनाकार आनंद वी.आचार्य ने कही। अवसर था नवयुवक कला मंडल की ओर से आयोजित साहित्यकार डॉ.नीरज दइया और राजूराम बिजारणियां के सम्मान समारोह का। मुख्य अतिथि आनंद वी.आचार्य ने दोनों साहित्यकारों की रचनाओं की विशेषताओं से भी रूबरू करवाया।
कार्यक्रम के अध्यक्ष व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि बाल साहित्य लेखन देखने में बेहद सरल लग सकता है किंतु इसकी जटिलता और गंभीरता सृजनधर्मी समाज की समझ सकता है।
हर्ष का विषय है कि साहित्य अकादेमी ने इन दोनों रचनाकारों की रचनात्मकता को राष्ट्रीय स्तर पर पहचाना और सराहा। रंगकर्मी सुरेश हिन्दूस्तानी ने कहा कि आधुनिक युगानुरूप परिवेश में राजस्थानी रचनाकारों की भूमिका और अधिक रेखांकित की जा रही है। कथाकार संजय पुरोहित ने कहा कि आधुनिक साहित्य के प्रति युवाओं का रूझान सकारात्मक है। वे विभिन्न विधाओं में सृजनशील है। इससे पूर्व रचनाकारों डॉ.दइया और बिजारणियां को शाॅल, श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया। संचालन आत्माराम भाटी ने किया।
साहित्यअकादेमी के बाल साहित्य पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार डॉ.नीरज दइया ने कहा कि यह सम्मान बीकानेर और मेरी भाषा का सम्मान है। सम्मान से जिम्मेदारी बढ़ी है। मेरा प्रयास होगा कि ऐसा सृजन करू जिससे राजस्थानी भाषा की पहचान में वृद्धि हो। युवा साहित्यकार पुरस्कार से सम्मानित कवि राजूराम बिजारणियां ने अपने आपको ग्रामीण जीवन से जुड़ा इंसान बताते हुए कहा कि राजस्थानी भाषा की राजकीय मान्यता के बिना यह सम्मान अधूरा लगता है।
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